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नायब सैनी को मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद दोनों पदों के वेतन-भत्ते मिलने में कानूनन कोई रोक नहीं

There is no legal restriction on Nayab Saini getting the salary and allowances of both the posts of Chief Minister and Lok Sabha MP.
 
नायब सैनी को मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद दोनों पदों के वेतन-भत्ते मिलने में कानूनन कोई रोक नहीं 
मुख्यमंत्री बनने के एक माह बाद भी नायब सैनी मौजूदा 17वीं  लोकसभा के हैं सांसद 
 

चंडीगढ़ - गत  माह  12 मार्च को   नायब सिंह सैनी, जो मई, 2019 से प्रदेश की कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से वर्तमान 17वीं लोकसभा के सदस्य (सांसद) भी  हैं, की हरियाणा के मुख्यमंत्री के तौर पर  नियुक्ति की गई एवं उसी दिन उन्हें प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय द्वारा पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई.  \


बहरहाल, चूँकि  नायब सैनी ने मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के  एक माह से ऊपर का समय बीत जाने के बाद भी मौजूद 17वीं  लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दिया है, इसलिए वह सांसद के तौर पर पूरा  वेतन-भत्ते प्राप्त करने के  हकदार हैं. वहीं पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में  एडवोकेट और कानूनी जानकार  हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया कि बेशक नायब सिंह वर्तमान में 
हरियाणा की  मौजूदा 14वीं विधानसभा के सदस्य अर्थात विधायक नहीं है एवं उन्हें भाजपा द्वारा अगले माह 25 मई को निर्धारित करनाल विधानसभा सीट उपचुनाव में पार्टी उम्मीदवार बनाया है परन्तु  विधायक निर्वाचित होने से पूर्व भी नायब   प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पूरा वेतन और  भत्ते (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और टेलीफोन भत्ता छोड़कर) प्राप्त करने के कानूनन योग्य है. 

हेमंत ने बताया कि जहाँ तक हरियाणा के मुख्यमंत्री और मंत्रियों (कैबिनेट मंत्री एवं राज्य मंत्री दोनों) को मिलने वाले  वेतन-भत्ते  (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और टेलीफोन भत्ता छोड़कर) का विषय है, तो वह उन्हें   प्रदेश विधानसभा के सदस्यों  अर्थात विधायकों पर लागू होने वाले हरियाणा विधानसभा सदस्य (वेतन, भत्ते एवं पेंशन) कानून, 1975 के प्रावधानों के अंतर्गत  विधानसभा सचिवालय से नहीं  बल्कि हरियाणा मंत्रीगण वेतन एवं भत्ते कानून, 1970 के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा प्रदान किये  जाते  हैं.  जहाँ तक निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और टेलीफोन भत्ता का विषय है, तो वह मुख्यमंत्री और मंत्रियों को भी विधायकों की तर्ज पर  विधानसभा सचिवालय द्वारा ही प्रदान किया जाता है. 

इस प्रकार हरियाणा में अगर कोई गैर-विधायक मुख्यमंत्री या फिर  मंत्री नियुक्त होता है, तो बेशक उसे उसकी  नियुक्ति से 6 महीने की अवधि के भीतर प्रदेश विधानसभा का सदस्य (विधायक) निर्वाचित होना कानूनन अर्थात संवैधानिक तौर पर आवश्यक   है परन्तु जहाँ तक ऐसे गैर-विधायक मुख्यमंत्री अथवा  मंत्री को मिलने वाले वेतन और भत्तों (उपरोक्त उल्लेखित दो भत्तों को छोड़कर) का विषय है, तो वह उसे विधायक निर्वाचित होने  से पूर्व भी प्राप्त होगा. इसके अतिरिक्त उसे  सरकारी आवास या उसके एवज में निर्धारित भत्ता, सरकारी गाड़ी या उसके एवज में  क्न्वेयंस (वाहन भत्ता) और निर्वाचन क्षेत्र में कार्यालय के खर्चे हेतु भी भत्ता प्रदान होता है. यहीं नहीं हर मुख्यमंत्री और हर मंत्री  को   प्राप्त होने वाले वेतन और भत्तों दोनों पर  आयकर (इनकम टैक्स) का भुगतान भी प्रदेश सरकार के खजाने में से ही किया जाता है. 

हालांकि हेमंत ने बताया कि चूँकि मुख्यमंत्री नायब सिंह वर्तमान 14वी हरियाणा विधानसभा के फिलहाल  सदस्य नहीं है इसलिए उन्हें हरियाणा विधानसभा सचिवालय से निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और  टेलीफोन  भत्ता और प्रदेश सरकार से  निर्वाचन क्षेत्र में कार्यालय का  खर्चा नहीं प्राप्त होगा क्योंकि आज की तारिख  में प्रदेश का कोई विधानसभा हलका उनका निर्वाचन क्षेत्र नहीं है. हालांकि अगर वह 25 मई  को निर्धारित करनाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव जीतकर विधायक बन जाते है, तो उन्हें विधानसभा सचिवालय से  निर्वाचन क्षेत्र और टेलीफोन भत्ता और उस क्षेत्र में कार्यालय का खर्चा भी मिलना प्रारंभ हो जाएगा. 

यह पूछे जाने पर कि क्या गैर-विधायक होते हुए भी प्रदेश के  मुख्यमंत्री के तौर पर प्राप्त होने वाले   वेतन और अन्य भत्तों के साथ साथ नायब सैनी द्वारा  कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद होने के फलस्वरूप  वेतन और भत्तों प्राप्त करने पर कोई कानूनी अड़चन है, हेमंत ने बताया कि चूँकि न देश की संसद और न ही हरियाणा विधानसभा द्वारा बनाये किसी कानून में ऐसा प्रावधान  नहीं किया गया है  कि मौजूदा सांसद अगर किसी  प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त हो जाता है और सांसद के तौर पर त्यागपत्र देने से पूर्व   वह सांसद और मुख्यमंत्री दोनों पदों का वेतन नहीं ले सकता है, इसलिए वर्तमान में मुख्यमंत्री नायब सैनी आगामी 16 जून 2024 अर्थात मौजूदा 17वीं लोकसभा के सामान्य कार्यकाल तक अथवा उससे पहले की उस तारीख तक  जब 18वीं लोकसभा के गठन के कारण पिछली 17वीं लोकसभा को 5 जून या उसके बाद किसी भी दिन  भंग कर किया जाता है वह उस समय तक  सांसद के तौर पर मिलने वाला वेतन-भत्ते प्राप्त कर सकते हैं चाहे   उन्हें साथ साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री के तौर पर भी वेतन-भत्ते प्राप्त हो रहे हों.  हालांकि हेमंत ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति पूर्व सांसद के तौर पर पेंशन प्राप्त कर रहा हो और उस दौरान  वह प्रदेश विधानसभा का सदस्य अर्थात विधायक  निर्वाचित हो जाए, तो उसे विधायक के कार्यकाल पूरा होने तक पूर्व सांसद के तौर पर  पेंशन नहीं प्राप्त होती है.  

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