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पहले गोली मारकर पशु की हत्या करते, फिर पेट फाड़कर मांस निकालकर ले जाते

 पुलिस अधीक्षक डबवाली
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सिद्धांत जैन

पहले गोली मारकर पशु की हत्या करते, फिर पेट फाड़कर मांस निकालकर ले जाते

 पुलिस अधीक्षक डबवाली सिद्धांत जैन ने बताया कि जिला डबवाली मे कई दिनों से खेतों मे हो रही वन्य जीवों / गौ हत्या की वारदात हो रही थी और ताजी घटना गांव गंगा व गिदड़ खेडा के खेतों मे नील गाय व गौ हत्या की वारदात को सुलझाने के लिए उप-पुलिस अधीक्षक कालांवाली राजीव कुमार के नेतृत्व में सीआईए डबवाली, सीआईए कालांवाली, एंटी नारकोटिक सैल डबवाली, साईबर सैल डबवाली, थाना सदर डबवाली व पुलिस चौकी चौटाला की पुलिस 6 टीमें गठित की गई थी। 

गठित की गई टीमों ने अपने महत्वपूर्ण गुप्त सुराग जुटाते हुए मोटरसाईकिल सहित दो आरोपियों को काबू करने मे सफलता हासिल की है। जिनकी पहचान आरफ अली पुत्र अबदुल गफूर, ईमदाद पुत्र सासवर वासीयान नवा गांव जिला हनुमानगढ, राजस्थान के रूप मे हुई है ।


विस्तृत रूप से जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक ने बताया कि दिनांक 30 नवंबर को गांव गंगा व गिदड खेडा के खेतों मे नील गाय को मारने सम्बन्ध मे गुरजिन्द्र सिंह पुत्र बलदेव सिंह गांव गिदड खेडा ने एक लिखित शिकायत थाना सदर डबवाली मे दी थी। शिकायतकर्ता सुबह-सुबह अपने पिता के साथ खेत मे गेहूं देखने के लिए गए तो उनके खेत मे नील गाय / गाय के मांस के टुकडे जगह-जगह बिखरे हुए थे जो शिकायतकर्ता की लिखित शिकायत प्राप्त होने पर अभियोग नम्बर 578/24 दर्ज करके अलग से स्पेशल टीमें गठित की गई। 

गठित की गई टीमों ने आज अपने महत्वपूर्ण सुराग जुटाते हुए दो आरोपियों को वारदात मे प्रयोग मोटरसाईकिल सहित काबू किया हैं आरोपियों ने बताया कि मोटरसाईकिल पर सवार होकर गांव किकरावाली व नवा से हरियाणा के साथ लगते बार्डर के गांव मे जहां पर खेतों मे नील गाय व आवारा पशु ज्यादा पाए जाते हैं उन सडक के साथ लगते खेतों मे टोर्च मारकर पशुओं की रेकी करते थे और वारदात करते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाता था कि वारदात वाले एरिया मे जहां रजवाहा व नहर का पानी ना चलता हो और पानी ना चलने के कारण किसान खेतों मे हाजिर ना मिलें। उस जगह को चिन्हित करके वारदात को अंजाम दिया जाता था। 

वन्य जीव पशुओं को बैट्री की तेज रोशनी से पशु की आखों मे बैट्री मारते थे और जब बैट्री लगने पर पशु स्थिर हो जाता था तो दुसरे साथी द्वारा साथ मे लाई गई 12 बोर नाजायज गन से फायर करके पशु को गिरा देते थे। फिर पशु / जानवर के पास जाकर उसका गला हलाल करके पेट मे चिरा लगाकर मीट / मांस निकालकर मोटर साईकिलों के साईड मे पल्लड़ से बनाए गए बैगों मे भर लेते थे। जाते समय तकरीबन कच्चे रस्ता का प्रयोग करते हुए अपने गांव मे पहुंच जाते थे। वहां पर मीट/मांस को बांट लेते थे और मीट / मांस बेचकर प्राप्त हुई राशि से नशा पूर्ति,शौंक व घर खर्चा चलाते थे । आरोपियों के खिलाफ पहले भी कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

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