हरियाणा में 31 मार्च से लागू होंगे तीन नए कानून, जानिए इनके फायदे और असर
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महिला सुरक्षा को लेकर बड़े बदलाव
चंडीगढ़: हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। 2024 में राज्य में 1431 महिलाओं के साथ दुष्कर्म, 112 मामलों में दुष्कर्म की कोशिश और 1431 छेड़खानी की शिकायतें दर्ज की गई हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि महिला सुरक्षा अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
हालांकि, राहत की बात यह है कि अब दुष्कर्म या छेड़खानी की शिकार महिलाओं को बयान देने के लिए थाने नहीं जाना पड़ेगा। पुलिस अब पीड़िता की सहमति से खुद उसके पास जाकर बयान दर्ज कर रही है। इससे पीड़ितों को सहूलियत और सम्मान दोनों मिल रहे हैं।
31 मार्च से लागू होंगे नए कानून
प्रदेश में तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। पुलिस और गृह विभाग ने नए नियमों के अनुसार काम शुरू कर दिया है और 31 मार्च 2025 से ये कानून आधिकारिक रूप से लागू हो जाएंगे। इन नए कानूनों में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं।
राज्यपाल ने विधानसभा के बजट सत्र में इसकी पुष्टि की थी। इन कानूनों के लागू होने के बाद अपराधियों पर शिकंजा कसा जाएगा और पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सकेगा। नए कानूनों के तहत केस दर्ज करने से लेकर सुनवाई और फैसले तक की समय सीमा तय कर दी गई है।
आपराधिक घटनाओं में आई गिरावट
2024 में हरियाणा में कुल 1,36,269 मुकदमे दर्ज हुए, जो 2023 के मुकाबले 16,216 कम हैं। यह 14.62% की गिरावट को दर्शाता है। पुलिस ने तकनीक का उपयोग करते हुए सभी थानों को क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) से जोड़ दिया है। अब हर FIR को CCTNS पर अपलोड किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है।
नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 का स्कोर भी 100% तक पहुंच गया है। नए कानूनों के तहत विदेश में बैठे अपराधियों पर भी कार्रवाई आसान होगी। कोर्ट में उनकी पेशी के बिना ही मुकदमा चलाया जा सकेगा और सजा सुनाई जा सकेगी। साथ ही, पुलिस अब व्हाट्सएप के जरिए समन भेज रही है, जिससे समय और सरकारी खर्च दोनों की बचत हो रही है।
आम लोगों को मिलेंगे नए अधिकार
नए कानूनों में आम जनता को भी कई अधिकार दिए गए हैं। अब कोई भी नागरिक किसी भी थाने में जीरो FIR दर्ज करा सकता है, चाहे वह उस थाने के क्षेत्र में आता हो या न हो। जीरो FIR को 15 दिनों के भीतर सही थाने में ट्रांसफर करना अनिवार्य होगा। सुनवाई से लेकर गवाही तक सब कुछ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया जाएगा, जिससे लोगों को कोर्ट के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
यौन अपराध मामलों में कड़े नियम
यौन अपराधों में पीड़ितों के बयान की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। साथ ही, तलाशी, जब्ती और अपराध में इस्तेमाल किए गए वाहनों की जांच के दौरान भी वीडियोग्राफी जरूरी होगी। यह कदम जांच को मजबूत करने और न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में मदद करेगा।
31 मार्च के बाद इन नए कानूनों के प्रभाव को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आएंगी, लेकिन फिलहाल यह साफ है कि ये बदलाव अपराध पर लगाम लगाने और न्याय व्यवस्था को मजबूत करने में अहम साबित होंगे।