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16 फरवरी के बंद को सफल बनाने के लिए विभिन्न संगठनों ने किया मंथन

रानियां रोड स्थित कुम्हार धर्मशाला में हुई मीटिंग
 
16 फरवरी के बंद को सफल बनाने के लिए विभिन्न संगठनों ने किया मंथन
सिरसा। जिले के सभी एसकेएम से जुड़े किसान संगठनों, कर्मचा,री संगठनों और सामाजिक संगठनों की सामुहिक बैठक रानियां रोड स्थित कुम्हार धर्मशाला में हुई। बैठक में आगामी 16 फरवरी की हड़ताल को कामयाब करने के लिए विचार-विमर्श किया गया। मीटिंग को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ जिला वरिष्ठ उप प्रधान मदनलाल खोथ, राज्य प्रेस सचिव, सिरसा डिपो प्रधान पृथ्वी सिंह चाहर, किसान नेता हरजिंदर नानूआना, अध्यापक संघ से सचिव कृष्ण नैन ने संयुक्त रूप से बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि सिरसा जिला के सभी संगठन मिलकर 16 फरवरी के बंद को मजबूती से कामयाब करेंगे। जिसके तहत इलाका में नुक्कड़ सभाएं करके बाजार में मार्च करके प्रचार किया जाएगा और 14 फरवरी को अगली मीटिंग हरियाणा रोडवेज बस स्टेंड सिरसा पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों से अपील की जाती है की 16 फरवरी बंद को कामयाब करें, क्योंकि केंद्र सरकार की कुनीतियों का विरोध करना बहुत जरूरी है।
संयुक्त किसान मोर्चा से किया बंद को सफल बनाने का आह्वान:
उन्होंने कहा कि केंद्र की मौजूदा कार्पोरेट-सांप्रदायिक सरकार ने किसान आंदोलन के निलंबन के समय पर किये वायदों पर विश्वासघात किया है। वह श्रमिकों पर लेबर कोड थोप कर उन्हें बंधुआ बनाने पर आमादा है। युवाओं को करोड़ों रोजगार देने का वादा करके उनसे ठगी की है। आज महंगाई और बेरोजगारी चरम सीमा पर हैं। हरियाणा में दिन प्रतिदिन बढ़ रहे अपराधिकरण के चलते लोगों की जान-माल की कोई सुरक्षा नहीं और राज्य सरकार कान में तेल डालकर सो रही है। नई शिक्षा नीति लाकर शिक्षा के सांप्रदायिकरण व व्यापारिकरण करके बुनियादी ढांचे को तहस नहस करने का काम हो रहा है। धर्म और राजनीति का निकृष्टतम घालमेल करके संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को तिलांजलि दे डाली है। लोगों के बोलने के अधिकारों पर हो रहे निरंकुश हमले संसदीय जनतंत्र को ही खत्म करने का संदेश दे रहे हैं, जो अपने आपमें गहरी चिंता का विषय है। देश की समूची जनता के सामने इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में किसान मजदूरों की एकता अपने आपमें एक महत्वपूर्ण कदम है। उपरोक्त विनाशकारी नीतियों से न केवल किसान मजदूर बल्कि छोटे छोटे व्यापारी, दुकानदार, कर्मचारी, महिलाएं, छात्र, बेरोजगार नौजवान, बुद्धिजीवी आदि भी प्रभावित हैं। इसलिए शक्तिशाली प्रतिरोध खड़ा करने की दिशा में परस्पर महत्व के मुद्दों पर आधारित किसान मजदूरों के इस संयुक्त मंच का विस्तार किया जाना समय की मांग है।
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