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अनाजमंडी में आज गेहूं खरीद बंद, केवल उठान पर जोर

अनाजमंडी 
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केवल उठान पर जोर

सिरसा, 21 अप्रैल। गेहूं की कटाई अब जोर पकड़ चुकी है। मंडियों में बिक्री के लिए प्रतिदिन लाखों क्विंटल गेहूं पहुंच रहा है। सिरसा अनाजमंडी में भी ऐसा ही हो रहा है। यहां रोजाना लगभग 3 लाख क्विंटल से अधिक गेहूं लेकर किसान पहुंच रहे हैं। खरीद एजेंसियां गेहूं की खरीद भी कर रही हैं, मगर उठान में दिक्कत आ रही है।

खरीद के हिसाब से गेहूं का उठान न होने की वजह से सिरसा मंडी में गेहूं की बोरियों के ढेर लग गए हैं। गेहूं की नई ढेरी लगाने के लिए भी किसानों को जगह नहीं मिल रही है। ऐसे हालात न सिर्फ सिरसा मंडी के हैं, बल्कि प्रदेश की दूसरी मंडियों में भी ऐसा ही माहौल बना हुआ है। इसे देखते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने गत दिवस आदेश दिया था कि रविवार को सभी मंडियों में गेहूं की खरीद बंद रहेगी। सिर्फ खरीदे गए गेहूं का उठान किया जाएगा। मुख्य सचिव के आदेशानुसार आज सिरसा मंडी में गेहूं की खरीद के लिए कोई टॉकन नहीं काटा गया।

हालांकि कुछ किसान गेहूं लेकर पहुंचे हैं, मगर आज खरीद नहीं हुई। गेहूं खरीद में जुटी एजेंसियों द्वारा आज बोरियों में भरे हुए गेहूं का उठान करवाया जा रहा है। गत दिवस मुख्य सचिव ने साफ शब्दों में कहा था कि उठान ठेकेदार 24 घंटे में 50 प्रतिशत गेहूं का उठान सुनिश्चित करे, अन्यथा ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी प्रावधान किया है कि यदि कोई आढ़ती अपने वाहनों से गेहूं का उठान करवाता है तो नियमानुसार उसे वाहनों का किराया दिया जाएगा। सरकार चाहती है कि मंडियों में खरीदे गए गेहूं का तुरंत उठान हो ताकि मंडियों में जाम की स्थिति न बने और किसानों तथा आढ़तियों को गेहूं की बिक्री में कोई बाधा न आए।


सिरसा आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान मनोहर मेहता ने कहा कि सिरसा मंडी में गेंहू का उठान सही तरीके से नहीं हो रहा है। उन्होंने दो दिन पहले आढ़तियों की एक बैठक बुलाई थी। बैठक में निर्णय लिया था कि 24 घंटे में गेहूं का उठान न हुआ तो आढ़ती सिरसा मंडी में हड़ताल करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि उठान ठेकेदार के पास वाहनों  की कमी है,  इस कारण उठान नहीं हो रहा है। उन्होंने हैफेड के डीएम से कहा था कि वह ठेकेदार से वाहनों की संख्या बढ़वाए ताकि किसानों व आढ़तियों को हो रही परेशानी दूर हो सके।
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किसानों को नहीं मिल रही पेमेंट
प्रधान मनोहर मेहता ने कहा कि सरकार ने आदेश दिया हुआ है कि गेहूं खरीद के 72 घंटे के अंदर किसानों को उनकी पेमेंट खातों में डाली जाए, मगर हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि किसान अपनी फसल बेचकर चला जाता है। नियमानुसार जब तक बेची गई फसल का उठान नहीं हो जाता, यानि, फसल संबंधित खरीद एजेंसी के गोदाम तक नहीं पहुंच जाती, तब तक किसानों को उसका भुगतान नहीं किया जा सकता। अब मंडी में गेहूं बिक्री के बाद दो-तीन दिन तक पड़ा रहता है। ऐसे में किसानों को 72 घंटे के अंदर पेमेट नहीं मिल पाती है। इस कारण किसानों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह सब खरीद एजेंसियों की उदासीनता तथा ठेकेदार की लापरवाही से हो रहा है। प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

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