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जब पुलिस कप्तान ने खेतों में आतंकवादियों को करवाया ‘लूंगी डांस’

-सिरसा संसदीय सीट पर सक्रिय हुए पूर्व पूर्व अधिकारी वी. कामराजा
 
जब पुलिस कप्तान ने खेतों में आतंकवादियों को करवाया ‘लूंगी डांस’
-हुडा सैक्टर में सांसद सुनीता दुग्गल वाली कोठी ली किराये पर
 
सर्द मौसम में सिरसा की सियासत में गर्माहट का आलम है। संसदीय चुनावों को लेकर सियासी शतरंज पर शह-मात का खेल जारी है। विशेष बात यह है कि संसदीय चुनावों को लेकर पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी वी. कामाराजा भी अब एक्टिव मोड में आ गए हैं। पिछले करीब एक माह से वे सिरसा में डेरा डाले हुए हैं। अब तक करीब 70 से अधिक गांवों में दस्तक दे चुके हैं। वे भारतीय जनता पार्टी से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं। 2019 के चुनाव में भी भगवा पार्टी से टिकट मांगी थी। तब पूर्व आई.आर.एस. अधिकारी सुनीता दुग्गल  को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था और सुनीता दुग्गल ने कांग्रेस प्रत्याशी डा. अशोक तंवर को 3 लाख 9 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया था। कामराजा ने हुडा सैक्टर 20 में वही 449 नंबर कोठी किराये पर ली है, जिस पर सांसद सुनीता दुग्गल किराये पर रहती थीं।
दरअसल आज से करीब 34 साल पहले कामराजा सिरसा के पुलिस कप्तान थे। बात साल 1991-92 की है जब पड़ौसी राज्य पंजाब में आतंकवाद का गहरा साया छाया हुआ था। पंजाब की सीमा से सटे हरियाणा के सिरसा जिले में आतंकवादियों ने गोलियों की बौछार करके 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। मामला बेहद संगीन था और लोग दहशत में थे। उस समय पर हरियाणा के पुलिस महानिदेशक ने वी. कामराजा को सिरसा के पुलिस अधीक्षक की कमान सौंपी। कामराजा अपनी सरकारी कोठी पर भोजन कर रहे थे। दक्षिण भारतीय पहनावे लूंगी में थे। आतंकवादियों को ढेर करने के मकसद से लूंगी पहनते हुए वे गांव थिराज में पहुंचे। ङ्क्षसघम स्टाइल में खेतों में दो आतंकवादियों को ढेर कर दिया। इसके बाद उनकी हत्या की साजिशें अनेक बार रची गईं और चार बार उन पर जानलेवा हमले किए गए जिसमें ए के 47 आटोमेटिक बंदूकों का इस्तेमाल करते हुए उन पर फायरिंग की गई लेकिन वे किसी तरह से बच निकले। सिरसा जिले के सीमावर्ती गांवों में आतंकवादियों के ठिकानों को नेस्तानाबूद करने की बात हो या फिर उनके नैक्सस को तोडऩे की, वी. कामराजा ने हर जगह कामयाबी हासिल की। इसके साथ ही नशे के कारोबार की कमर तोडऩे में भी वी. कामराजा ने अहम भूमिका निभाई। करीब 33 साल पहले सिरसा जिले में शांति स्थापित करने और लोगों को दहशत के साए ये बाहर निकालने का परिणाम यह रहा कि वी. कामराजा ने लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह स्थापित कर ली, एक ऐसा स्थान जिसे लोग तीन दशक का लंबा अर्सा बीतने के बाद भी न भुला पाए और न दिल से निकाल पाए।
इस बार सिरसा सीट पर रोचक समीकरण
सिरसा संसदीय सीट पर इस बार रोचक समीकरण बने हुए हैं। 170 किलोमीटर तक फैले 19 लाख 20 हजार मतदाताओं वाले सिरसा संसदीय क्षेत्र में सिरसा जिला के 5, फतेहाबाद के 3 एवं जींद जिला का नरवाना विधानसभा क्षेत्र आता है। 600 से अधिक गांव वाले इस संसदीय क्षेत्र में पूर्व में भी बैंक अधिकारी रह चुके हेतराम 1988 और 1989 में सांसद निर्वाचित हुए थे। सबसे अधिसक 4 बार चौ. दलबीर सिंह 1967, 1971, 1980 और 1984 में सांसद बने। दो बार कुमारी सैलजा 1991 और 1996 में जबकि 2 बार डा. सुशील इंदौरा 1998 और 1999 में सांसद रहे। 1977 में चौ. चांदराम, 2004 में आत्मा सिंह गिल, 2009 में डा. अशोक तंवर, 2014 में चरणजीत रोड़ी, 2019 में सुनीता दुग्गल सांसद चुनी गई। अब पूर्व अधिकारी कामराजा भी लगातार गांवों में दस्तक दे रहे हैं। वे भाजपा के बड़े नेताओं के साथ बैठक कर चुके हैं 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी परिवार के साथ शिरकत करेंगे।
अब चर्चा में क्यों वी. कामराजा?
हरियाणा पुलिस प्रशासन में अपनी शानदार सेवाएं देने के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत्ति पाने वाले वी. कामराजा एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। कारण है कि वी. कामराजा उसी सिरसा जिले में एक बार फिर से एक्टिव हैं जहां के लोगों का प्यार, आदर, सम्मान उन्हें हमेशा से मिलता रहा है। इस बार वे प्रशासनिक कार्य के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक उद्देश्य से सिरसा में हैं। वी. कामराजा लोकसभा चुनाव में उतरने की पूरी तैयारी के साथ सिरसा पहुंच चुके हैं और भले ही चुनावी शतरंज के बिछने में अभी कुछ वक्त बाकी है, बावजूद इसके उन्होंने जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि हरियाणा पुलिस के बेदाग, निडर पुलिस अधिकारी, आतंकवादियों से लोहा लेने का जिगरा, प्रशासन पर कड़ी कमांड, काम करवाने के तरीके में महारत और लोगों के दिलों पर राज करने की कला वी. कामराजा की खूबियां हैं। कई कशक तक हरियाणा पुलिस महकमे में रहने के बावजूद वी. कामराजा के कॉलर पर भ्रष्टाचार का एक भी काला छींटा नहीं है जो उन्हें लोगों के बीच और अधिक लोकप्रिय बनाता है। खास बात यह है कि सिरसा संसदीयस सीट से पूर्व पुलिस महानिदेशक बी.एस. संधू, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्रीकांत जाधव के अलावा पंजाबी गायक हंसराज हंस का नाम भी चर्चा में है। इन सबके बीच सियासी विश£ेषक मानते हैं कि सिरसा से करीब 2500 किलोमीटर दूर तमिलनाडू से यहां पर कामराजा का सियासी तौर पर सक्रिय होना और अपना ठिकाना बनाने के पीछे कोई बड़ी वजह तो है ही।
पुलिस में कई अहम ओहदों पर रहे
1987 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी वी. कामराजा का जन्म तमिलनाडू के डिंडीगुल जिला में हुआ। उन्होंने चेन्नई के लोयला कालेज से इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके अलावा रोहतक की महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से वकालत की डिग्री हासिल की और बाद मे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से वकालत में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री की। साल 1989 में रेवाड़ी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बने। वर्ष 1990 में कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक बने और इस पद पर 1991 तक रहे। 1991 मं वे सिरसा के पुलिस कप्तान नियुक्त किए गए और करीब 8 माह तक सिरसा में उन्होंने अपनी अनूठी कार्यशैली से एक खास पहचान स्थापित की। साल 2000 से लेकर 2003 तक हरियाणा हाइवे पैट्रोल एंड रोड सेफ्टी के वरिष्ठ पुलिस पुलिस अधीक्षक रहे। साल 2003 से लेकर 2008 तक सी.आई.एस.एफ. साउथ जोन के उप पुलिस महानिरीक्षक के पद पर कार्य किया। 2008 से 2012 तक रोहतक रेंज के पुलिस महानिरीक्षक रहे। 2012 से 2013 तक रेलवे और कमांडो में पुलिस महानिरीक्षक के पद पर काम किया। 2013 से 2015 तक अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ऑप्रेशन) के रूप में अपनी सेवाएं दीं। पुलिस सेवा में रते हुए उन्होंने यूनाइटेड नैशन पीस मैड, राष्ट्रपति अवार्ड, प्रधानमंत्री अवार्ड, इंटरनैशनल ज्यूरिस्ट अवार्ड भी मिला।
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