भव्य बिश्नोई क्यों हारा? जाने पूरी जानकारी

भव्य बिश्नोई क्यों हारा?
कामरेड इंद्रजीत जी ने इंटरव्यू में मुझे बताया कि एक बार चौधरी भजनलाल हिसार रेस्ट हाउस में बैठे थे तो एक किसान उनसे मिलने आया। उम्र में किसान बडा था इसलिए उसे देखने ही नमस्ते भी चौधरी भजनलाल ने ही की। पूछा कि किसलिए आना हुआ तो उन्होंने बताया कि भैंस लेकर आया हूं, बाहर पेड के बंधरी है। देखैगेा? चौधरी भजनलाल तुरंत उसके साथ भैंस देखने बाहर गए। खूब जांची परखी, दूध की पूछताछ की और फिर राजीखुशी विदा किया। जब लोगों ने कहा कि चौधरी साहब अब मुख्यमंत्री को भैंस भी देखनी पडेंगी क्या? इस पर चौधरी भजनलाल ने कहा कि ये आदमी 1968 से मेरे साथ है, कभी कोई काम मुझे नहीं बताया लेकिन इसकी भैंस मेरी कार से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है अब ये पूरे गांव में शान के साथ बताएगा कि ये भैंस तो चौधरी भजनलाल को भी पसंद आई है।
इस तरह चौधरी भजनलाल ने अपने साथ लोगों को जोडकर रखा। आदमपुर उनका परिवार था इसलिए कोई उनको नहीं हरा पाया लेकिन कुलदीप बिश्नोई अपनी जडों से कट गए। भव्य तो खैर पैदा ही जडों के ऊपर हुआ है। आज भी ये लोग दिल्ली के फार्महाउस से निकलकर स्थाई रूप से आदमपुर में रहने लगे तो कोई माई का लाल इनको फिर नहीं हरा पाएगा ऐसी इज्जत भी आज भी लोग चौधरी भजनलाल की करते हैं लेकिन जो लोग चांदी की चम्मच मुंह में लेकर पैदा होते हैं वो पुरखों की मेहनत को समझ नहीं पाते हैं।