जैसलमेर Tubewell हादसे की पूरी कहानी.. Case study about Tubewell collapse
जैसलमेर
जैसलमेर के मोहनगढ़ में जमीन से फूट पड़ा पानी, क्या यह सरस्वती नदी का प्रमाण है?
मोहनगढ़ में अनोखी घटना
28 दिसंबर 2024 को राजस्थान के जैसलमेर के पास मोहनगढ़ में एक अद्भुत घटना घटी। यहां बोरवेल ड्रिलिंग के दौरान अचानक जोरदार धमाके की आवाज आई और उसके कुछ ही क्षण बाद बोरवेल से पानी का तेज बहाव शुरू हो गया। पहले जहां यह बोरवेल का छेद केवल कुछ सेंटीमीटर चौड़ा था, पानी का दबाव इतना तेज था कि यह छेद एक बड़े कुएं में तब्दील हो गया।
पानी का रहस्य
यह पानी पूरे दिन और रात भर निकलता रहा। वैज्ञानिकों की टीम मौके पर पहुंची और पानी के सैंपल लेकर उसकी जांच शुरू की। साथ ही, इस घटना ने एक बार फिर सरस्वती नदी के अस्तित्व और उसकी धारा के पुनः उभरने की संभावनाओं को हवा दे दी।
क्या यह सरस्वती नदी है?
सरस्वती नदी का ऐतिहासिक महत्व
सरस्वती नदी का उल्लेख प्राचीन वेदों में मिलता है। यह हिमालय से निकलने वाली विशाल नदी थी, जो राजस्थान से होकर बहा करती थी। माना जाता है कि लगभग 4000 साल पहले यह नदी विलुप्त हो गई और अब यह धरती के अंदर बहती है।
इसरो का अध्ययन
इसरो ने सैटेलाइट डेटा की मदद से थार रेगिस्तान में नदी के अवशेषों का पता लगाया। यह नदी लगभग 5-10 किलोमीटर चौड़ी थी। जैसलमेर और आसपास के इलाकों के पानी में हिमालयन वॉटर के प्रमाण मिले हैं, जिससे यह संभावना प्रबल होती है कि यह सरस्वती नदी का पानी हो सकता है।
आर्टीजन वेल: इस घटना का वैज्ञानिक पक्ष
क्या है आर्टीजन वेल?
आर्टीजन वेल एक ऐसा कुआं होता है, जहां पानी खुद-ब-खुद धरती से बाहर निकलता है। यह तब संभव होता है जब जमीन के नीचे पानी के स्रोत पर अत्यधिक दबाव हो। जैसलमेर में हुए इस हादसे को भी वैज्ञानिक आर्टीजन वेल से जोड़कर देख रहे हैं।
पानी का बहाव कैसे होता है?
पानी का बहाव तब तक जारी रहता है जब तक दोनों टैंकों (स्रोत और सतह) का दबाव बराबर नहीं हो जाता। इस घटना में, ड्रिलिंग के दौरान पानी के दबाव वाले पॉकेट को छेड़ा गया, जिससे पानी अचानक बाहर निकलने लगा।
सरस्वती नदी के विलुप्त होने के पीछे का कारण
टेक्टोनिक प्लेट्स और जलधाराओं का बदलाव
भौगोलिक परिवर्तन और टेक्टोनिक शिफ्टिंग के कारण सरस्वती नदी का मार्ग कट गया। इसके परिणामस्वरूप यह नदी धरती के नीचे दब गई। आज भी, नदी के पानी के कुछ हिस्से पृथ्वी के अंदर दबे वाटर पॉकेट्स के रूप में मौजूद हैं।
राजस्थान में भूमि धंसने की घटनाएं
भूमि धंसने के उदाहरण
राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में भूमि धंसने की घटनाएं सामने आई हैं। बीकानेर में डेढ़ बीघा जमीन 70 फीट नीचे धंस गई थी। इसी तरह, 2023 में सड़क धंसने से एक ऑटो 20 फीट गड्ढे में समा गया।
गैस और पानी के दबाव का प्रभाव
अक्सर भूमि के नीचे गैस या पानी संचित हो जाता है। गैस पतली जगहों से आसानी से निकल जाती है, लेकिन पानी का घनत्व अधिक होने के कारण इसे बाहर निकलने के लिए ड्रिलिंग की आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
मोहनगढ़ की यह घटना कई सवाल खड़े करती है। क्या यह सरस्वती नदी का प्रमाण है? क्या यह पानी हजारों या लाखों साल पुराना हो सकता है? इन सवालों के जवाब वैज्ञानिक जांच के बाद ही सामने आएंगे।