तीन पीढिय़ों को अपने भीतर समाहित किए हुए है चौ. देवीलाल की चौथी पीढ़ी
तीन पीढिय़ों को अपने भीतर समाहित किए हुए है चौ. देवीलाल की चौथी पीढ़ी
रानियां विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए 32 वर्षीय युवा विधायक अर्जुन चौटाला अपने परिवार की तीन पीढिय़ों को अपने भीतर समाहित किए हुए हैं। उनकी कार्यशैली, पहनावे एवं बोलने के अंदाज में उनके पड़दादा चौ. देवीलाल, दादा चौ. ओमप्रकाश चौटाला एवं पिता चौ. अभय चौटाला की झलक देखने को मिलती है। वे अपने पड़दादा चौ. देवीलाल की तरह से अधिकांश मौकों पर धोती-कुर्ता पहनते हैं तो पैरों में जूती डालते हैं। अपने दादा चौ. ओमप्रकाश चौटाला की तरह सिर पर हरी पगड़ी धारण करते हैं और सभाओं से लेकर विधानसभा में अपने पिता चौ. अभय सिंह चौटाला की तर्ज पर आक्रामक तरीके से अपनी बात रखते हैं। खास बात यह है कि अर्जुन चौटाला की कद-काठी भी ताऊ देवीलाल की तरह है।
गौरतलब है कि अर्जुन चौटाला ने साल 2019 में कुरुक्षेत्र सीट से संसदीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए, मगर वे सियासत में लगातार सक्रिय रहे। वे इसी साल अक्तूबर में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार रानियां से चुनाव लड़े और पहली बार ही रानियां से विधायक चुने गए। खास बात यह है कि अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस के प्रत्याशी सर्वमित्र कम्बोज एवं अपने दादा तथा आजाद उम्मीदवार चौ. रणजीत सिंह को पराजित किया। अभी हाल में 13 नवंबर से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ। अर्जुन चौटाला ठेठ हरियाणवी वेशभूषा में विधानसभा में पहुंचे। उन्होंने अपने पड़दादा चौ. देवीलाल की तरह से ही धोती-कुत्र्ता एवं जूती डाली हुई थी। अपने दादा चौ. ओमप्रकाश चौटाला की तरह सिर पर हरे रंग की पगड़ी को धारण किया हुआ था। अर्जुन चौटाला ने फरवरी 2023 में अपने पिता की ओर से प्रदेशभर में निकाली गई परिवर्तन पदयात्रा के दौरान ऐसा पहनावा डालना शुरू किया था और वे विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी वे कई बार धोती-कुत्र्ते में ही नजर आए।
विधानसभा में पिता की तरह हैं आक्रामक तेवर
खास बात यह है कि 13 नवंबर से शुरू हुए चार दिवसीय विधानसभा सत्र में भी रानियां के विधायक अर्जुन चौटाला के आक्रामक तेवर नजर आ रहे हैं। वे अपने पिता चौ. अभय ङ्क्षसह चौटाला की तरह से ही विकासपरक एवं संजीदा मुद्दों को तथ्यों व तर्कों के साथ रख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इनैलो 2005 के बाद से सत्ता से बाहर है। इस बीच 2010, 2014, 2019 और 2021 में अभय चौटाला ऐलनाबाद से विधायक चुने गए। 2014 से लेकर 2019 तक अभय चौटाला विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे और इस दौरान उन्होंने रजिस्ट्री घोटाला, प्रोपर्टी घोटाला, खनन घोटाला, शराब घोटाला, दवा घोटाला, किसान आंदोलन, नशे, कानून व्यवस्था सहित विकासपरक मुद्दों को लेकर आक्रामक तेवरों के साथ अपनी बात रखी। खास बात यह है कि कई बार तो अनेक मुद्दों को लेकर अभय चौटाला की तत्कालीन स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता एवं कुछ मंत्रियों के साथ नोंक-झोंक भी हो गई। अब अपने पिता की ही तर्ज पर रानियां के नवनिर्वाचित विधायक अर्जुन चौटाला जनहित के मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे हैं। अब तक तीन दिन चले विधानसभा सत्र में अर्जुन ने किसानों को हो रही खाद किल्लत का मुद्दा उठाने के अलावा रानियां क्षेत्र में नहरी एवं पीने के पानी की समस्या को प्रमुखता से उठाया। अर्जुन चौटाला ने कहा कि सरकार नशा तस्करों के खिलाफ एक्शन लेने की चर्चा तो करती है, लेकिन नशे से पीडि़त लोगों के सुधार एवं पुनर्वास पर कोई नीति नहीं है। आंकड़े बताते हुए अर्जुन चौटाला ने कहा कि सिरसा शहर में 50 बिस्तरों का एवं कालांवाली में 5 बिस्तरों का नशा मुक्ति केंद्र है। नशे से पीडि़त युवाओं को इलाज के साथ ही पुनर्वास की जरूरत है और इसके लिए सरकार को एक ठोस नीति बनानी चाहिए। अर्जुन ने सिरसा में बढ़ते कैंसर, काला पीलिया के बारे में भी विस्तार से अपनी बात रखी। नहरी पानी के मामले को लेकर अर्जुन चौटाला की विधानसभा सत्र के दौरान ऐलनाबाद से कांग्रेस के विधायक भरत सिंह बैनीवाल से भी नोंक-झोंक हो गई थी।
2013 में सियासत में सक्रिय हो गए थे अर्जुन चौटाला
अर्जुन चौटाला ने साल 2011 में शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से सीनियर सैकेंडरी की परीक्षा पास की और इसके बाद वे विदेश में पढ़ाई करने के लिए चले गए। अर्जुन चौटाला का जन्म 3 अगस्त 1992 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून और शिमला से हासिल की। अमेरिका के लॉस एंजिलिस में उन्होंने एडमिशन लिया। इसी दौरान जनवरी 2013 में अर्जुन चौटाला के दादा ओमप्रकाश चौटाला और ताऊ अजय सिंह चौटाला को जूनियर बेसिक टीचर भर्ती मामले में सजा हो गई थी।
परिस्थितियों को देखते हुए वे पढ़ाई बीच में छोडक़र ही वापस हिंदुस्तान लौट आए। उन्होंने यहां अमेठी यूनिवर्सिटी के नोएडा कैंपस में एल.एल.बी. में दाखिला लिया। तीन सैमेस्टर की पढ़ाई करने के बाद बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इसके पीछे अर्जुन ने पारिवारिक खेती की जिम्मेदारी के अलावा राजनीति को भी कारण बताया था। उल्लेखनीय है कि अर्जुन सिंह चौटाला को राजनीति विरासत में मिली उन्होंने अपने दादा ओम प्रकाश चौटाला और पिता अभय सिंह चौटाला से राजनीति का पाठ सीखा। 2013 में वे संगठन में सक्रिय हुए और इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें कुरुक्षेत्र से प्रत्याशी बनाया। बेशक अर्जुन चौटाला चुनाव हार गए, लेकिन इसके बाद वे लगातार सक्रिय नजर आए। अब लंबे समय से अर्जुन चौटाला इंडियन नैशनल लोकदल के यूथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। अर्जुन चौटाला के काम करने का तरीका और सलीका दोनों ही बड़े दिलचस्प हैं। कुछ समय पहले अर्जुन चौटाला ने पार्टी में एक बड़ा बदलाव करते हुए चुनाव करवाने की पहल की थी। युवा इनैलो के पदाधिकारियों के चुनाव करवाए गए और इसके साथ ही डिजीटल प्लेटफॉर्म पर भी पार्टी को मजबूती देने के लिए लगातार काम किया जा रहा है।