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सिरसा संसदीय सीट का ये है पूरा हिसाब-किताब भाजपा के पास 26 प्रतिशत हार्डकोर वोट भाजपा के पास संगठन की ताकत, मोदी की गारंटी, कांग्रेस के लिए गुटबाजी है मुसीबत

सिरसा
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मोदी की गारंटी, कांग्रेस के लिए गुटबाजी है मुसीबत
 

सिरसा की सियासत का मिजाज अनूठा है। यहां पर चौपालों पर हुक्के की गुडग़ुड़ाहट के अलावा सोशल मीडिया के जरिए राजनीति करवट लेती रहती है। नाई, पान की दुकानों पर चर्चाओं का बाजार गर्म है। चौपालों पर ताश की बाजी के साथ सियासी किस्से-कहानियों का दौर जारी है। करीब 19 लाख 24 हजार मतदाताओं वाले सिरसा संसदीय क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं।

यहां पर अब तक 8 बार कांग्रेस 6 बार चौ. देवीलाल व चौ. ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले सियासी दलों के और एक बार भाजपा से सांसद बना है। इस बार भारतीय जनता पार्टी से डा. अशोक तंवर मैदान में हैं। जननायक जनता पार्टी ने रमेश खटक को टिकट दी है। खटक तीन बार सोनीपत जिला के बरौदा से विधायक रह चुके हैं।

उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की 5 जबकि केंद्रीय चुनाव समिति की 3 बैठकें हो चुकी हैं। विशेष बात यह है कि पिछले करीब 14 मार्च से प्रचार में जुटे डा. अशोक तंवर अब तक करीब 300 से अधिक गांवों के अलावा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के कस्बे एवं शहर में दस्तक दे चुके हैं।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एवं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी कई जनसभाएं की हैं। सियासी पंडित मानते हैं कि पिछली बार भाजपा उम्मीदवार ने 7 लाख से अधिक वोट हासिल करते हुए करीब 3 लाख 9 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी। पिछले करीब दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एक तरह से जो ऐतिहासिक कदम उठाए हैं, उससे भाजपा का एक कोर वोट बैंक स्थापित हुआ। भगवान राम मंदिर, धारा 370, सर्जिकल स्ट्राइक राष्ट्रहित से जुड़े मसले हैं, तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एवं वंशवाद की सियासत पर अंकुश लगाने जैसे सामाजिक मुद्दे हैं।

इसी तरह से 14 करोड़ घरों में जल पहुंचाना, 1 करोड़ लखपति दीदी, करोड़ों गरीबों को आवास देना, 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालना विकासपरक तथ्य हैं। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि विकासपरक मुद्दों व सकारात्मक सियासत की बदौलत एवं प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत छवि एवं साहसिक फैसले लेेने और प्रयोग करने की कार्यशैली ने आज करीब 24 से 26 फीसदी तक वोट हर संसदीय क्षेत्र में स्थापित कर दिया है। इसे भाजपा का हार्डकोर वोट कहा जा सकता है। पंजाब व राजस्थान से सटे सिरसा में यह एक कारक है।

इसके अलावा भाजपा के पास सिरसा में 30 हजार पन्ना प्रमुख की टीम है। करीब एक दर्जन से अधिक समितियां हैं तो पूरा संगठन भी है। सियासी पंडित यह भी मानते हैं कि डा. अशोक तंवर 2009 में सिरसा में सांसद बने और यहीं पर हुडा सैक्टर 20 में अपना घर बनाया। 15 वर्षों से सिरसा उन्होंने छोड़ा नहीं है। दूसरी ओर कांग्रेस के लिए इस चुनाव में अनेक गतिरोध हैं। कांग्रेस में आपसी गुटबाजी चरम पर है। छह नेता हुड्डा खेमे से हैं तो 6 किसी दूसरे गुट से। कांग्रेस के पास अपना संगठन नहीं है।

न ही जिलाध्यक्ष है और न ही ब्लॉक अध्यक्ष हैं। वैसे भी जीत के लिए 7 लाख का आंकड़ा पार करना कांगे्रस जैसे सियासी दल के लिए नामुमकिन है। पिछली बार करीब 13 लाख 70 हजार वोट पोल हुए थे। इस बार करीब 14 लाख 20 हजार से लेकर साढ़े 14 लाख वोट पोल होने की उम्मीद है। ऐसे में भाजपा के पास 25 प्रतिशत हार्डकोर वोट बैंक के लिहाज से करीब 3 लाख 62 हजार वोट एक तरह से पहले दिन से ही साथ नजर आ रहा है और अब पिछले करीब 37 दिनों में सिरसा की सियासी पिच पर भाजपा प्रत्याशी डा. अशोक तंवर की धुआंधार बैटिंग जारी है और ऐसे में कहा जा सकता है यहां का चुनाव दिलचस्प रहने वाला है।

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