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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: रणजीत सिंह हत्याकांड में गुरमीत राम रहीम बरी, बेटा बोला-सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: रणजीत सिंह हत्याकांड में गुरमीत राम रहीम बरी, बेटा बोला-सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

चंडीगढ़। बहुचर्चित रणजीत सिंह हत्याकांड मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राम रहीम को बड़ी राहत देते हुए उसे दोष मुक्त करार दिया है। इस मामले में सीबीआई की अदालत ने राम रहीम को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। गुरमीत राम रहीम के वकील जतिंदर खुराना ने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बदल दिया है और इसमें शामिल सभी पांच लोगों को बरी कर दिया गया है। हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। उम्र कैद की सजा के खिलाफ राम रहीम ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने उसकी अपील पर मंगलवार को फैसला सुनाते हुए सीबीआई की

अदालत के फैसले को रद्द कर दिया है। इस मामले में अभी विस्तृत आदेश आना बाकी है। हाईकोर्ट के डेरा मुखी राम रहीम को बरी किए जाने पर रणजीत सिंह के बेटे जगसीर ने निराशा जताई। उन्होंने कहा कि फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि  सीबीआई कोर्ट ने उन्हें न्याय दिलाया था लेकिन अब हाईकोर्ट ने डेरा मुखी को बरी कर दिया है। यह अन्याय है लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। हाईकोर्ट के फैसले से रणजीत सिंह के गांव में लोग भी हैरान है। लोगों का कहना है कि सीबीआई जांच के बाद कोर्ट ने इस मामले में डेरा मुखी को सजा सुनाई थी लेकिन अब हाई कोर्ट में उन्हें बरी कर दिया है। रणजीत सिंह सिरसा डेरे का प्रबंधक था। एक शक की वजह से 22 साल पहले रणजीत सिंह की हत्या कर दी गई थी।  रणजीत सिंह हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले थे। 10 जुलाई 2002 को उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 


एक गुमनाम साध्वी ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को एक चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी में राम रहीम की जांच की मांग की गई थी। डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने साध्वी यौन शोषण की गुमनाम चिट्ठी अपनी बहन से ही लिखवाई थी। ये वही गुमनाम चिट्ठी है जिसे सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति ने अपने सांध्य कालीन समाचार पत्र ‘पूरा सच’में छापा। जिसकी वजह से 24 अक्तूबर 2002 को पत्रकार रामचंद्र छत्रपति पर हमला कर उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया गया था। 21 नवंबर 2002 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में रामचंद्र की मौत हो गई थी।  


2003 में सीबीआई को सौंपी गई थी जांच


पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी। हाईकोर्ट ने बेटे के पक्ष में फैसला सुनाकर केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। मामले की जांच करते हुए सीबीआई ने राम रहीम समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर चार्ज फ्रेम किए थे। हालांकि, शुरुआत में इस मामले में डेरामुखी का नाम नहीं था लेकिन 2003 में जांच सीबीआई को सौंपने के बाद 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के आधार पर डेरा प्रमुख का नाम इस हत्याकांड में शामिल हुआ था। 2021 में सीबीआई की अदालत ने गुरमीत राम रहीम सहित पांच दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साध्वी यौन शोषण मामले में राम रहीम सिंह को 20 साल की सजा हुई है। इन दिनों राम रहीम रोहतक की सुनारिया जेल में है।

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