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भारत का एकमात्र ऐसा किला..... जहां जंग में तोप से दागे थे चांदी के गोले !

The only fort in India..... where silver balls were fired from cannons in the war!

CHURU FORT
आज हम आपको एक ऐसे एतिहासिक किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इतिहास में अमर है, क्योंकि वहां जो घटना घटी थी, वो न तो दुनिया में कहीं और घटी है और शायद ही कभी घटित होगी। इस घटना ने आज भी अपना वजूद और इस ऐतिहासिक किले का नाम दुनिया के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवाया है।

HARDUM HARYANA NEWS

प्राचीन समय में राजा अपने आत्मसम्मान, राज्य और किले की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुज़रने से गुरेज नहीं करते थे। यहां तक कि वो बेशकीमती सोने-चांदी, हीरे-जवाहरात की भी कीमत नहीं समझते थे। आज हम आपको एक ऐसे एतिहासिक किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इतिहास में अमर है, क्योंकि वहां जो घटना घटी थी, वो न तो दुनिया में कहीं और घटी है और शायद ही कभी घटित होगी। इस घटना ने आज भी अपना वजूद और इस ऐतिहासिक किले का नाम दुनिया के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवाया है।

ये भारत का अनोखा किला जहां दुश्मनों पर दागे गए थे चांदी के गोले, वजह जान आप  भी रह जाएंगे हैरान | Some Interesting Facts About Rajasthan Churu Fort  Where Silver Shells

हम बात कर रहे हैं राजस्थान के एक ऐतिहासिक किले की जिसे 'चूरू किले' के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है। वर्ष 1694 में ठाकुर कुशल सिंह ने इस किले का निर्माण करवाया था। इसके पीछे मकसद आत्मरक्षा के साथ-साथ राज्य के लोगों को भी सुरक्षा प्रदान करना था।

ये भारत का अनोखा किला जहां दुश्मनों पर दागे गए थे चांदी के गोले, वजह जान आप  भी रह जाएंगे हैरान | Some Interesting Facts About Rajasthan Churu Fort  Where Silver Shells

 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यही किला दुनिया का एकमात्र ऐसा किला है, जहां युद्ध के समय गोला बारूद खत्म हो जाने पर तोप से दुश्मनों पर चांदी के गोले दागे गए थे। यह इतिहास की बेहद ही हैरान कर देने वाली घटना थी, जो वर्ष 1814 में घटी थी। उस समय इस किले पर ठाकुर कुशल सिंह के वंशज ठाकुर शिवजी सिंह का राज था।

राजस्‍थान का किला जहां बारूद खत्म होने पर दागे गए थे चांदी के गोले | Churu  Fort Rajasthan; Know- History, Attractions, Things to Do and Other Details  - Hindi Nativeplanet

इतिहासकारों के मुताबिक, ठाकुर शिवजी सिंह की सेना में 200 पैदल और 200 घुड़सवार सैनिक थे, लेकिन युद्ध के समय सेना की संख्या अचानक से बढ़ जाती थी, क्योंकि यहां रहने वाले लोग अपने राजा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे और इसीलिए वो एक सैनिक की तरह दुश्मनों से लड़ते थे। सिर्फ यही नहीं, वो अपने राजा और राज्य की रक्षा के लिए अपनी धन-दौलत तक लुटा देते थे।

यह बात है साल 1814 के अगस्त महीने की। बीकानेर रियासत के राजा सूरत सिंह ने अपनी सेना के साथ चूरू किले पर हमला बोल दिया। इधर, ठाकुर शिवजी सिंह ने भी अपनी सेना के साथ उनका डटकर मुकाबला किया, लेकिन कुछ ही दिनों में उनके गोला-बारूद खत्म हो गए।

भारत का ऐसा कौन सा किला था जहाँ से चाँदी के गोले दागे गए थे ? - Quora

 अब ऐसे में किसी भी राजा का चिंतित होना स्वाभाविक है, लेकिन उनकी प्रजा ने उनका भरपूर साथ दिया और राज्य की रक्षा के लिए अपने सोने-चांदी सब राजा पर न्यौछावर कर दिए, जिसके बाद ठाकुर शिवजी सिंह अपने सैनिकों को आदेश दिया कि दुश्मनों पर तोप से चांदी के गोले दागे जाएं। इसका असर ये हुआ कि दुश्मन सेना ने हार मान ली और वहां से भाग खड़े हुए। यह घटना चुरू के इतिहास में अमर है।

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