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प्रदोष व्रत करने से मिलता है हर समस्या का हल, जीवन में आती है खुशियां

प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत को सनातन धर्म में भगवान शिव और माँ पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है और विवाह में आ रही समस्याओं का समाधान होता है। प्रदोष व्रत विशेष रूप से सप्ताह के सोमवार और शुक्रवार को किया जाता है, और इस दिन महादेव की पूजा से जीवन में खुशियाँ और सुख-शांति का आगमन होता है।

15 अक्टूबर 2024 को प्रदोष व्रत:
आज के दिन प्रदोष व्रत का आयोजन है, जो कि आश्विन माह के अंतिम प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाएगा। यदि आप भी महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ करना बहुत ही लाभकारी होगा।

शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से जीवन के सभी संकटों से छुटकारा पाने और सुख, शांति, समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र (Shiv Mrityunjaya Stotram):
॥ शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र॥

रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।
क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवंदितं
चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

(अधिक श्लोकों का पाठ, पूरा शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र)

शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का महत्व:
स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति के लिए।
कष्टों और संकटों से छुटकारा पाने के लिए।
धन-समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए।
शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए।
शिव प्रार्थना मंत्र:
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥

शिव गायत्री मंत्र:
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।

महामृत्युञ्जय मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्,
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

प्रदोष व्रत पूजा विधि:
प्रदोष व्रत की शुरुआत दिन के समय स्नान करके शिवलिंग की पूजा से होती है।
धूप, दीप, और अक्षत चढ़ाएं।
शिव पंचाक्षर मंत्र (ॐ नमः शिवाय) का जप करें।
शिव मृत्युञ्जय स्तोत्र का पाठ करें।
इस दिन मौन रहकर भगवान शिव से शांति, समृद्धि, और स्वास्थ्य की प्रार्थना करें।
व्रति के दौरान उपवासी रहें और दिनभर जलपान करें।
 

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