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Happy New Year 2025: 1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं नया साल, जानिए इसकी History

Happy New Year 2025:

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1 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं नया साल, जानिए इसकी History 

नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है?

साल 2024 को अलविदा कहकर 2025 का आगाज हो चुका है। लोग नए साल का स्वागत कर रहे हैं और एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? किसी और दिन या महीने में क्यों नहीं? आइए जानते हैं इसके पीछे की ऐतिहासिक वजह।

रोमन कैलेंडर की शुरुआत

45 ईसा पूर्व, रोमन साम्राज्य में कैलेंडर का प्रचलन हुआ करता था। उस समय रोम के राजा नुमा पंपिलियस के शासन में रोमन कैलेंडर में 10 महीने और साल में 310 दिन होते थे। हफ्ते में सिर्फ आठ दिन हुआ करते थे। लेकिन बाद में नुमा पंपिलियस ने कैलेंडर में बदलाव किया और जनवरी को साल का पहला महीना माना।

ग्रेगोरियन कैलेंडर और 1 जनवरी

1 जनवरी को नया साल मनाने का प्रचलन 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर की शुरुआत के बाद हुआ। इससे पहले नया साल मार्च में बसंत ऋतु के साथ शुरू होता था। ग्रेगोरियन कैलेंडर को रोमन राजा जूलियस सीजर ने विकसित किया। उन्होंने खगोलविदों की मदद से एक नए कैलेंडर का निर्माण किया, जिसमें धरती के 365 दिन और 6 घंटे की सूर्य परिक्रमा को आधार बनाया गया।

रोमन देवता जेनस का महत्व

जनवरी महीने का नाम रोमन देवता जेनस के नाम पर रखा गया है। जेनस के दो चेहरे माने जाते थे—एक शुरुआत का प्रतीक और दूसरा अंत का। नुमा पंपिलियस ने जेनस को साल के आरंभ का देवता मानकर जनवरी को पहला महीना घोषित किया। इसी के साथ 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की गई।

प्राचीन बेबीलोनियन परंपरा

4000 साल पहले प्राचीन बेबीलोनियन सभ्यता में भी नया साल मनाने की परंपरा थी। इसे 11 दिनों तक मनाया जाता था, जिसे “अकत” के नाम से जाना जाता था। यह परंपरा सूर्य और चंद्र चक्र की गणनाओं पर आधारित थी।

सूर्य और चंद्र चक्र पर आधारित कैलेंडर

किसी भी कैलेंडर की गणना सूर्य या चंद्र चक्र पर आधारित होती है। चंद्र चक्र पर आधारित कैलेंडर में 354 दिन होते हैं, जबकि सूर्य चक्र पर आधारित कैलेंडर में 365 दिन। ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य चक्र पर आधारित है और आज दुनिया के अधिकतर देश इसी का पालन करते हैं।

निष्कर्ष

इस प्रकार 1 जनवरी को नए साल का दिन चुनने के पीछे ऐतिहासिक और खगोलीय कारण हैं। यह दिन रोमन परंपरा, जूलियस सीजर के निर्णय और खगोलीय गणनाओं का नतीजा है। उम्मीद है कि अब आप जान गए होंगे कि नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है।

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