अंतिम संस्कार के ठीक बाद OP Chautala के बेटे Ajay-Abhay के कांड पर हुआ खुलासा, सामने आई सच्चाई
अंतिम संस्कार के ठीक बाद
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला: परिवार में दरार और स्नेहलता चौटाला की दुखद विदाई
ओपी चौटाला के निधन के बाद खुलासे
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद उनके परिवार से जुड़ी कई चौंकाने वाली खबरें सामने आई हैं। उनके बेटों अजय चौटाला और अभय चौटाला के बीच की दरार ने परिवार को गहरा दर्द दिया। बताया जा रहा है कि उनके व्यवहार और आपसी तनाव ने उनकी मां स्नेहलता चौटाला को गहरे सदमे में डाल दिया था।
स्नेहलता चौटाला की अंतिम विदाई और पारिवारिक तनाव
16 अगस्त 2019 को स्नेहलता चौटाला का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार परिवार के अन्य सदस्यों, जैसे दिग्विजय चौटाला, रवि चौटाला, करण चौटाला और अर्जुन चौटाला द्वारा किया गया। हालांकि, उस समय भी अजय चौटाला और अभय चौटाला के बीच की दूरी ने सभी को चिंतित किया।
पारिवारिक अलगाव का कारण
स्नेहलता चौटाला अपने बेटों के बीच के मतभेदों से बेहद दुखी थीं। सूत्रों के मुताबिक, यह तनाव उनके लिए असहनीय हो गया था। उनके निधन के बाद भी परिवार में दरार कम नहीं हुई। चौधरी देवी लाल परिवार के करीबी सूत्रों का कहना है कि परिवार पहले भी राजनीतिक तौर पर बंटा रहा है, लेकिन स्नेहलता के समय यह अलगाव और गहरा हो गया।
अर्जुन चौटाला की सगाई पर गैरमौजूदगी
परिवार के मतभेद का एक और बड़ा उदाहरण तब सामने आया जब अभय सिंह चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला की सगाई में परिवार के कई सदस्य शामिल नहीं हुए। इसे लेकर भी काफी चर्चा हुई, और इसे स्नेहलता चौटाला के निधन का एक बड़ा कारण बताया गया।
शुभचिंतकों की नसीहत
स्नेहलता चौटाला के निधन के बाद कई शुभचिंतकों और रिश्तेदारों ने अजय चौटाला और अभय चौटाला को समझाने की कोशिश की कि अपने पिता ओपी चौटाला के अंतिम समय तक परिवार को एकजुट रखना चाहिए। हालांकि, यह कोशिशें नाकाम रहीं, और परिवार में तनाव बना रहा।
आज भी चर्चा का विषय
ओपी चौटाला और उनके परिवार के विवाद एक बार फिर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गए हैं। कई लोग इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं कि क्या यह पारिवारिक दरार कभी खत्म हो पाएगी।
निष्कर्ष
ओम प्रकाश चौटाला और उनकी पत्नी स्नेहलता चौटाला का जीवन परिवार को जोड़ने की कोशिशों में बीता, लेकिन उनके निधन के बाद भी यह सपना अधूरा ही रहा। परिवार की यह कहानी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश छोड़ती है कि आपसी मेलजोल और समर्थन किसी भी परिवार के लिए कितना आवश्यक है।