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Mughal Harem अकबर की 5000 औरतों के साथ अय्याशी के अनसुने किस्से

Mughal Harem
अय्याशी के अनसुने किस्से 
अय्याशी के अनसुने किस्से 

मुगल बादशाह अकबर का नाम अक्सर उनकी महानता, प्रशासनिक कुशलता और सैन्य शक्ति के लिए लिया जाता है। लेकिन इतिहास में उनके दौर के कुछ ऐसे विवादित पहलू भी हैं, जिनकी चर्चा कम होती है। इनमें से एक किस्सा अब्दुल क़ादिर बदायूंनी द्वारा लिखित मुंतखब तवारीख में दर्ज है, जो अकबर की निजी जीवन की कहानियों को उजागर करता है।

हिरण के शिकार से दिल्ली तक का सफर

कहा जाता है कि एक दिन अकबर मथुरा के पास के जंगलों में हिरण का शिकार कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें दिल्ली में उपद्रव की खबर मिली। अकबर ने तुरंत दिल्ली की ओर कूच किया और बीच में आगरा में कुछ समय बिताया। आगरा में ही उन्होंने राजनीतिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए शादी के माध्यम से रईसों को जोड़ने का विचार किया।

शाही हरम में लड़कियों का चयन

अकबर ने आगरा के सरदार शेख से इस बारे में चर्चा की। उन्होंने गांव वालों और हिजड़ों को बुलाकर उन्हें रईसों की बेटियों में शाही हरम के लिए उपयुक्त लड़कियां चुनने का आदेश दिया। इस फैसले से आगरा के अमीर परिवारों में भय का माहौल पैदा हो गया।

अब्दुल वासी की पत्नी का मामला

इसी दौरान अकबर की नजर सरदार शेर बाधा के बेटे अब्दुल वासी की खूबसूरत पत्नी पर पड़ी। अकबर ने उसे अपने हरम में शामिल करने का फरमान जारी किया। मुगल कानूनों के अनुसार, यदि बादशाह किसी महिला को पसंद करता, तो उसका पति उसे तलाक देने के लिए मजबूर होता। अब्दुल वासी ने भारी मन से अपनी पत्नी को तलाक दे दिया, और वह शाही हरम में शामिल हो गई।

अकबर का हरम: एक रहस्यमय संसार

अब्दुल क़ादिर बदायूंनी के अनुसार, अकबर के हरम में 5000 औरतें थीं, जिनमें से अधिकांश उनकी पत्नियां या रखैलें नहीं थीं। अकबर की तीन मुख्य पत्नियां थीं: रूपमती सुल्ताना, महारानी हीरा कुंवर और सलीमा सुल्तान। उनके बेटे सलीम (जहांगीर) का जन्म भी हीरा कुंवर से हुआ था।

हरम का संगठन और व्यवस्था

फतेहपुर सीकरी को राजधानी बनाते समय अकबर ने अपने हरम को व्यवस्थित किया। उनके हरम में केवल भारत की महिलाएं ही नहीं, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लाई गईं महिलाएं भी थीं। इन महिलाओं को मुगल दरबार की विलासितापूर्ण जीवनशैली और बहुविवाह परंपरा के तहत हरम में शामिल किया गया।

बदायूंनी की आलोचना

अब्दुल क़ादिर बदायूंनी, जो अकबर के समकालीन इतिहासकार थे, ने अपनी किताब में अकबर की आलोचना की है। उन्होंने लिखा कि अकबर की नीतियां कट्टर सुन्नी मुसलमानों को नागवार गुजरती थीं। बदायूंनी ने अकबर की निजी जिंदगी के विवादित पहलुओं का वर्णन गुप्त रूप से किया, क्योंकि उस समय इन विषयों पर खुलकर बात करना खतरे से खाली नहीं था।

इतिहास के दो पहलू

अकबर का नाम अक्सर उनकी महानता और सैन्य कौशल के लिए लिया जाता है, लेकिन इतिहास के कुछ पन्ने उनकी अय्याशियों और विवादित फैसलों की कहानियां भी बताते हैं। बदायूंनी की लिखी यह कहानियां अकबर के व्यक्तित्व के एक अलग पक्ष को उजागर करती हैं।

यह घटनाएं इतिहास में दर्ज हैं और अकबर के जीवन के उन पहलुओं को सामने लाती हैं, जो उनकी प्रशंसा में छिपे रह जाते हैं।

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