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SIKH शादी में क्यों 7 की जगह लिए जाते हैं 4 फेरे ? क्या होती है आनंद कारज की रस्म ?

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SIKH शादी में क्यों 7 की जगह लिए जाते हैं 4 फेरे ? क्या होती है आनंद कारज की रस्म ?
शादी में क्यों 7 की जगह लिए जाते हैं 4 फेरे

यहां सिख धर्म की शादी की रस्में और चार फेरों का महत्व

सिख धर्म में शादी के अनोखे रीति-रिवाज

हर धर्म के शादी से जुड़े अपने-अपने रीति-रिवाज होते हैं। हिंदू धर्म में जहां सात फेरों को शादी का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, वहीं सिख धर्म में चार फेरे लिए जाते हैं। इन चार फेरों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। आइए जानते हैं कि सिख धर्म में चार फेरों की परंपरा क्यों है और इसका महत्व क्या है।

सिख धर्म में शादी की रस्म "आनंद कारज"

सिख धर्म में शादी की रस्म को "आनंद कारज" कहा जाता है। इस रस्म में लग्न मुहूर्त, शगुन-अपशगुन जैसी बातों का महत्व नहीं होता। सिख धर्म के अनुसार हर दिन पवित्र होता है, और इसलिए किसी भी दिन विवाह संपन्न किया जा सकता है।

आनंद कारज समारोह में दूल्हा और दुल्हन गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष बैठते हैं। शादी किसी भी अमृतधारी सिख द्वारा कराई जाती है। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन को विवाह के महत्व, कर्तव्यों और सिख धर्म के सिद्धांतों के अनुसार जीवन जीने की शिक्षा दी जाती है।

चार फेरों का महत्व

सिख धर्म में शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन गुरु ग्रंथ साहिब को बीच में रखकर चार फेरे लेते हैं। प्रत्येक फेरा एक विशेष संदेश देता है:

  1. पहला फेरा: जोड़े को सत्कर्म और सच्चे जीवन का मार्ग दिखाया जाता है।
  2. दूसरा फेरा: सच्चे गुरु की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी जाती है।
  3. तीसरा फेरा: संगत के साथ जुड़कर गुरु की वाणी को आत्मसात करने की सीख दी जाती है।
  4. चौथा और अंतिम फेरा: मन की शांति और सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी जाती है।

हर फेरे के दौरान गुरु ग्रंथ साहिब के श्लोक पढ़े जाते हैं और इस रस्म को भक्ति और श्रद्धा के साथ निभाया जाता है।

रस्मों का समापन और प्रसाद वितरण

चार फेरों के बाद रागी द्वारा "आनंद साहिब" के शब्द गाए जाते हैं, जो विवाह की पूर्णता को दर्शाते हैं। इसके बाद शादी में मौजूद सभी लोगों के बीच प्रसाद बांटा जाता है।

सिख धर्म की अनोखी परंपरा

सिख धर्म की शादी की यह परंपरा हमें सिखाती है कि हर दिन पवित्र है और शगुन-अपशगुन जैसी मान्यताओं से परे रहकर भी विवाह को सफल और आध्यात्मिक बनाया जा सकता है। यह चार फेरे सिख धर्म के मूल सिद्धांतों को जीवन में अपनाने की प्रेरणा देते हैं।

सिख धर्म के विवाह रीति-रिवाजों की यह खासियत इसे अन्य धर्मों से अलग बनाती है।

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