गरीबी में रहकर चाय बेचते-बेचते बना IAS, जानें इनका संघर्ष का सफर
हिमांशु गुप्ता: एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी
गरीबी में बीता बचपन
हिमांशु गुप्ता का बचपन बेहद कठिनाइयों में गुजरा। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में पैदा हुए, उन्होंने स्कूल जाने के लिए रोजाना 70 किलोमीटर का सफर तय किया। उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे, लेकिन उन्होंने कभी भी हिमांशु की पढ़ाई को प्रभावित नहीं होने दिया। चाय की दुकान पर काम करने के साथ-साथ, पिता ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
पहले IPS और फिर IAS
हिमांशु ने 2018 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) में चयनित हुए। अगले साल, 2019 में, उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के लिए भी सफलता पाई। अंततः, 2020 में, उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित होकर अपने सपने को पूरा किया।
सहपाठियों की बातें
हिमांशु के सहपाठी, जो उन्हें 'चायवाला' कहकर बुलाते थे, अब उनकी सफलता से प्रेरित हैं। उन्होंने कभी भी इन बातों को ध्यान में नहीं रखा और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे। स्कूल जाने से पहले और बाद में, वे पिता के साथ काम में हाथ बंटाते थे, और जब भी सहपाठी उनके चाय के ठेले के पास से गुजरते, वे छिप जाते थे।
अंग्रेजी सीखी अपनी मेहनत से
अंग्रेजी में कमज़ोरी होने के कारण, हिमांशु ने अंग्रेजी मूवीज की डीवीडी खरीदकर खुद से अंग्रेजी सीखी। इस तरह की मेहनत और ईमानदारी से उन्होंने न केवल अपने सपनों को साकार किया, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बने।
हिमांशु गुप्ता की कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर ईमानदारी से मेहनत की जाए, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उनकी सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं।