logo

Real Story Of Mahabharat महाभारत युद्ध के बाद विधवाओं का क्या हुआ?

Real Story Of Mahabharat
zxxx
महाभारत

महाभारत युद्ध के बाद विधवाओं का क्या हुआ?

महाभारत युद्ध, भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा और भयानक युद्ध, धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष था। इस युद्ध ने लाखों जीवन समाप्त कर दिए, और पांडवों की जीत के बावजूद उनके जीवन में गहरी त्रासदियां छोड़ दीं। इस लेख में हम महाभारत युद्ध के बाद विधवाओं के जीवन और पांडवों के शासनकाल की चर्चा करेंगे।

महाभारत युद्ध का परिणाम और विधवाओं की स्थिति

महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला, जिसमें असंख्य योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए। इस युद्ध में मारे गए योद्धाओं की पत्नियां विधवा हो गईं। हस्तिनापुर की प्रजा पांडवों के शासन से खुश थी, लेकिन विधवाएं अपने पतियों के शोक में डूबी रहीं।

महर्षि वेदव्यास ने युद्ध के बाद कुरुक्षेत्र के वीरगति प्राप्त योद्धाओं की पत्नियों और उनके परिवारों को सांत्वना दी। उन्होंने गंगा नदी के तट पर दिवंगत आत्माओं को प्रकट कर परिजनों से मिलवाया। यह दृश्य देखकर सभी को यह विश्वास हुआ कि उनके परिजन परलोक में सुखी हैं।

धृतराष्ट्र और गांधारी का वनवास

युद्ध के 15 साल बाद, धृतराष्ट्र ने वन में जाकर शेष जीवन बिताने की इच्छा व्यक्त की। उनके साथ गांधारी, कुंती, विदुर और संजय भी वनवास के लिए चले गए। पांडवों ने उनके लिए आश्रम और अन्य सुविधाएं प्रदान कीं।

विधवाओं की अंतिम इच्छा

गंगा नदी के तट पर जब महर्षि वेदव्यास ने दिवंगत योद्धाओं को बुलाया, तो विधवाओं ने अपने पतियों को देखकर गहरी खुशी महसूस की। हालांकि, उनके पतियों के पुनः लौट जाने के बाद, विधवाएं फिर से शोक में डूब गईं। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें सुझाव दिया कि जो अपने पतियों के साथ परलोक जाना चाहती हैं, वे गंगा में डुबकी लगाकर अपने जीवन का त्याग कर सकती हैं। कई विधवाओं ने यह मार्ग चुना और अपने पतियों के साथ परलोक चली गईं।

पांडवों का स्वर्गारोहण और युधिष्ठिर का सत्य का पथ

महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने 36 वर्षों तक हस्तिनापुर पर शासन किया। इसके बाद युधिष्ठिर ने अपने प्रपौत्र परीक्षित को गद्दी सौंप दी। पांडव और द्रौपदी हिमालय की ओर स्वर्गारोहण के लिए निकले, लेकिन यात्रा के दौरान एक-एक कर सभी का निधन हो गया। युधिष्ठिर अकेले अपने शरीर के साथ स्वर्ग पहुंचे।

देवराज इंद्र ने युधिष्ठिर को उनकी सत्यता और धर्मप्रियता के लिए स्वर्ग में स्थान दिया। लेकिन उन्हें अपने भाइयों और द्रौपदी से अलग रहकर स्वर्ग प्राप्त हुआ, क्योंकि उन्होंने युद्ध के दौरान द्रोणाचार्य को धोखे में रखने के लिए अश्वत्थामा की झूठी मृत्यु की घोषणा की थी।

महाभारत युद्ध के प्रभाव

महाभारत के युद्ध ने कुरुवंश के विनाश के साथ-साथ यादव वंश का भी अंत कर दिया। भगवान कृष्ण के देह त्याग के बाद, पांडवों का जीवन भी अपने उद्देश्य को पूर्ण कर समाप्त हुआ।

महाभारत की विरासत

महाभारत न केवल एक युद्ध की कहानी है, बल्कि यह धर्म, अधर्म, सत्ता और रिश्तों के संघर्ष की भी गाथा है। इसने जीवन और मृत्यु के दर्शन को विस्तार से समझाया है, जो आज भी प्रासंगिक है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि सत्य और धर्म का पालन जीवन के हर क्षेत्र में कितना महत्वपूर्ण है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
">