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बाबा की यही इच्छा है | आज यह दिव्य संदेश आपको जरूर मिलेगा | Neem karoli baba | universe message

बाबा की यही इच्छा है |
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Neem karoli baba | universe message

बाबा नीम करोरी महाराज जी की अद्भुत लीला: भक्त महावीर सिंह की प्रेरक कहानी

चिर-परिचित होना और ईश्वर की महालीला

जब एक भक्त पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सिद्ध संत और ईश्वर के प्रति अपने हृदय को अर्पित कर देता है, तो समय के साथ उसकी भक्ति एक नए मोड़ पर पहुँचती है। भक्त ईश्वर और उनके स्वरूप को साधारण मानव जैसा अनुभव करने लगता है। यह स्थिति भक्ति की आंतरिक लौ को मंद कर सकती है। ऐसे समय में, ईश्वर अपने भक्त के लिए ऐसी लीला करते हैं जो उसके विश्वास को और भी दृढ़ बना देती है। बाबा नीम करोरी महाराज जी की ऐसी ही एक अद्भुत घटना आज हम आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं।

बाबा नीम करोरी और महावीर सिंह का अगाध विश्वास

आगरा के जीआरपी इंचार्ज श्री महावीर सिंह बाबा नीम करोरी महाराज जी के परम भक्त थे। वे बाबा के प्रति इतनी श्रद्धा रखते थे कि कभी उनसे दर्शन की जिद नहीं करते थे। बाबा स्वयं दर्शन देते तो महावीर सिंह उन्हें स्वीकार कर लेते, लेकिन बाबा अगर महीनों तक भी दिखाई न दें, तो भी उनका विश्वास अडिग रहता।

ट्रेन यात्रा की अद्भुत घटना

एक दिन, जब बाबा झांसी जाने के लिए ट्रेन में बैठे थे, प्लेटफॉर्म पर महावीर सिंह उनसे बातचीत कर रहे थे। तभी एक बूढ़ा व्यक्ति वहाँ आया और महावीर सिंह से ट्रेन में चढ़ाने की प्रार्थना करने लगा। डिब्बा खचाखच भरा होने के कारण महावीर सिंह उसकी मदद करने में असमर्थ थे। तभी बाबा खुद खिड़की से बाहर आए और उस व्यक्ति को अपनी जगह पर बिठा दिया।

इस अप्रत्याशित घटना के बाद, महावीर सिंह के मन में यह चिंता हुई कि अब बाबा को ट्रेन में कैसे चढ़ाया जाए। तभी ट्रेन चल पड़ी, और बाबा वहीं प्लेटफॉर्म पर खड़े रह गए। लेकिन अगले दिन, जब ट्रेन के गार्ड ने बताया कि झांसी स्टेशन पर बाबा पहले से मौजूद थे, तो महावीर सिंह स्तब्ध रह गए।

बाबा की महालीला का रहस्य

महावीर सिंह समझ गए कि बाबा ने इस घटना के माध्यम से अपनी दिव्य शक्ति का प्रमाण दिया है। एक ही क्षण में इतनी लंबी दूरी तय करना किसी साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं था। यह घटना महावीर सिंह के बाबा के प्रति विश्वास को और भी गहरा कर गई।

भक्त और ईश्वर का अटूट संबंध

जब भक्त लंबे समय तक ईश्वर के साथ रहते-रहते उनसे चिर-परिचित हो जाते हैं, तो ईश्वर अपनी महालीला के माध्यम से उनका विश्वास पुनः सशक्त करते हैं। यह बाबा की अनोखी शैली है, जिसमें तर्क, विज्ञान और भौतिकता को चुनौती देकर वे अपनी दिव्यता का अनुभव कराते हैं।

बाबा की यह दिव्य घटना हमें सिखाती है कि जब भी भक्ति में किसी प्रकार की शंका उत्पन्न हो, तो ईश्वर स्वयं उस शंका को दूर करने के लिए अद्भुत लीला करते हैं। बाबा नीम करोरी महाराज जी की ऐसी ही अलौकिक घटनाएँ हमें यह समझाती हैं कि सच्ची भक्ति का मार्ग हमेशा ईश्वर की कृपा से आलोकित होता है।

जय सियाराम!
बाबा नीम करोरी महाराज जी की जय!

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