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जब चौटाला भजनलाल से बोले ‘ये हाऊस किसी के बाप की मलकीयत नहीं,’ओमप्रकाश चौटाला ने अमिताभ बच्चन स्टाइल में दिया था जवाब

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जब चौटाला भजनलाल से बोले ‘ये हाऊस किसी के बाप की मलकीयत नहीं,’ओमप्रकाश चौटाला ने अमिताभ बच्चन स्टाइल में दिया था जवाब


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हरियाणा विधानसभा में होने वाले विशेष विधानसभा सत्रों में अतीत में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक होती रही है। विधानसभा सत्रों में कभी तीनों लाल भी एक-दूसरे से भिड़ जाते थे। एक बार तो चौधरी भजनलाल और चौधरी ओमप्रकाश चौटाला में विधानसभा में तीखी जुबानी जंग हुई। भजनलाल मुख्यमंत्री थे और ओमप्रकाश चौटाला साल 1993 में नरवाना का उपचुनाव जीतने के बाद विपक्ष के नेता थे। भजनलाल ने चौटाला की विकलांगता पर सवाल उठा दिए। मर्यादा में रहकर बोलने की नसीहत दे डाली। चौटाला भी कहां रुकने वाले थे। चौटाला ने अपने ही बेबाक अंदाज में तब कहा ‘यह हाऊस किसी के बाप की मलकीयत नहीं है। पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी पर मेरा बाप रहा, मैं भी रहा और अगली दफा मैं फिर इस कुर्सी पर आऊंगा।’ चौटाला ने इससे पहले धाराप्रवाह 35 मिनट तक बोलते हुए सत्ता पक्ष को आंकड़ों के जरिए घेरा। यह रोचक जुबानी जंग हुई थी साल 1995 में। तारीख 26 सितंबर। हरियाणा विधानसभा में विधानसभा सेशन का पहला दिन। प्रदेश में मानसून में आई बाढ़ को लेकर चर्चा होनी थी। बाढ़ ने उस समय प्रदेश के तमाम हिस्सों में तबाही मचाई थी। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल और पूर्व सांसद व पूर्व मंत्री चंद्रावती के भिवानी में स्थित मकान भी पानी में डूब गए थे। 


दरअसल चौधरी ओमप्रकाश चौटाला अपनी बेबाक तेवरों और हाजिर जवाबी के लिए जाने जाते हैं। साल 1995 में मानसून में हरियाणा में बरसात में तबाही मचाई थी। इस बरसात से जान-माल का नुकसान हुआ था। बरसात को लेकर 26 सितंबर 1995 से लेकर 29 सितंबर 1998 तक हरियाणा विधानसभा का चार दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। इस सत्र में विधायक चंद्रावती ने बताया कि बरसात में उनका मकान डूब गया। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के घर में भी जलभराव हो गया।

बरसात को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में तीखी नोक-झोंक हुई। इस दौरान चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने धाराप्रवाह 35 मिनट तक तथ्यों व आंकड़ों के साथ बरसात से हुई तबाही की कहानी बयां की। चौटाला ने तो यहां तक कहा कि ‘मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टरों के जरिए सर्वे करते रहे। अफसर पीटर स्कॉच व्हिस्की पीते रहे और जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया गया’ चौटाला ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा ‘प्रदेश के तमाम 16 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।चौटाला ने सरकार के मंत्रियों और अफसरों को भी लपेटे में लिया। चौटाला की ओर से रखी गई इस बात से तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल तिलमिला गए। चौधरी भजनलाल ने स्पीकर से मुखातिब होते हुए कहा ‘चौधरी ओम प्रकाश चौटाला जी जो मुंह में आए बोलते चले जा रहे हैं, यह इनके लिए मुनासिब नहीं है। अफसरों के बारे में कह दिया कि पीटर स्कॉच शराब, सेब, केले और ड्राई फु्रट उनको चाहिए। अफसरों पर मौज-मस्ती करने के आरोप लगा दिए। यह भी मुनासिब नहीं है।’ चौधरी भजनलाल ने चौटाला को मर्यादा में रहकर बोलने की नसीहत भी दे डाली। इस बात पर चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने भी पलटवार करते हुए कहा ‘अध्यक्ष महोदय मर्यादा में रहकर बोलने वाले के घर में चर्चा करूं तो हाउस इनके बारे में सुन नहीं सकेगा, क्या अधिकार है इनको बीच में उठकर बोलने का?’ इस पर चौधरी भजनलाल ने चौटाला की विकलांगता पर सवालिया निशान लगा दिए और कहा कि कुछ मर्यादा में रहकर के बात करो तो ठीक रहे।

इस पर चौटाला ने कहा ‘मेरे पास क्या है क्या नहीं, लेकिन चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर अगली दफा आपको आने नहीं दूंगा।’ इस पर चौधरी भजनलाल ने कहा ‘यह आप के बस की बात नहीं है जनता का राज है जिसे जनता चाहेगी, वही आएगा’ इस पर चौटाला में भी अपने अंदाज में भजनलाल पर पलटवार किया और कहा ‘चीफ मिनिस्टर की कुर्सी पर पहले मेरा बाप रहा और मैं भी रहा अगली दफा में फिर इस कुर्सी पर आऊंगा। उस जगह पर अगली दफा तेरे को नहीं बैठने दूंगा।’ चौटाला के इस बयान पर सत्ता पक्ष के विधायक और मंत्री शोर-शराबा करने लगे। इस पर चौधरी ओमप्रकाश चौटाला ने कहा ‘यह हाउस किसी के बाप की मलकीयत नहीं है, जो बात हम कहेंगे वह सुननी पड़ेगी।’ 


ऐसे बाढ़ ने मचाई थी तबाही


दरअसलहरियाणा में 1995 में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई। भिवानी, रोहतक, रेवाड़ी में बाढ ने लोगों को घरों से बेघर कर दिया। प्रदेश के तमाम 16 जिलों में बाढ़ ने कहर बरपाया। बाढ़ ने लोगों को बंजारा बना दिया। गलियों, बाजारों में जलभराव हो गया। बरसात ऐसी कि बंसीलाल भी बेबस हो गए। भिवानी बी.एन. चक्रवर्ती रोड पर बंसीलाल का घर डूब गया। भिवानी शहर में पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता, घनाश्याम सर्राफ के मकान भी बाढ़ की चपेट में आ गए। दादरी की विधायक चंद्रावती के घर में कई दिनों तक पानी खड़ा रहा। चंद्रावती ने तो विधानसभा के सेशन में भी अपना दुखड़ा भिवानी और रोहतक के तो हाल-बेहाल थे। इसके अलावा समालखा के करीब 20 गांव, कुरुक्षेत्र के 30, मेवात के दर्जनों गांवों में बाढ़ ने तबाही मचाई।

जींद के पोली गांव में 16 किलोमीटर लंबी पानी की शीट बन गई। कलायत में नाव का सहारा लेना पड़ा। सोनपीत, रेवाड़ी, कैथल, गुडग़ांव, करनाल, यमुनानगर, जींद, पानीपत और फरीदाबाद सबसे जगह हालात चिंताजनक थे। रोहतक की भौगोलिक स्थिति कटोरे की तरह। सितंबर के पहले सप्ताह में रिकॉर्डतोड़ बरसात ने कटोरानुमा रोहतक शहर को पानी से लबालब कर दिया। काम धंधे चौपट। मकानों-दुकानों में पानी। शहर का गांवों से संपर्क कट गया। बिजली, फोन सब बंद। सडक़ें पानी से लबालब। बाजारों में पानी। हर और तबाही का मंजर था। 


1995 में आई बाढ़ के बाद अकेले रोहतक में दो हजार करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। रोहतक में 343 गांव में बाढ़ का असर रहा। सात लाख आबादी प्रभावित हुई। 55,918 मकान क्षतिग्रस्त हुए। 2 लाख 14 हजार हैक्टेयर में फसल तबाह  हो गई। बाढ़ के दौरान रोहतक में सरकारी मदद महज 56 करोड़ की हो पाई। दिल्ली के रिजनल प्लानिंग स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर वीनिता यादव की ओर से 1995 में आई बाढ़ पर किए शोध के अनुसार हरियाणा में 23 लाख हैक्टेयर फसल बाढ़ से प्रभावित हुई रोहतक के बाद सबसे अधिक असर भिवानी जिला में नजर आया। भिवानी में तमाम सरकारी ऑफिसों से लेकर गली-मोहल्लों में 4 से 7 फीट जलभराव हो गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल के घर के अलावा भिवानी के लघुसचिवालय, राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल, वैश्य सीनियर सैकेंडरी स्कूल, पंचायत घर, अस्पताल में पानी भर गया। हरियाणा में हजारों करोड़ का नुक्सान बाढ़ के चलते हुआ।

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