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काचर की खेती: एक लाभदायक विकल्प भारतीय बागवानी संस्थान बीकानेर का योगदान

काचर की खेती: एक लाभदायक विकल्प भारतीय बागवानी संस्थान बीकानेर का योगदान
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काचर की खेती: एक लाभदायक विकल्प भारतीय बागवानी संस्थान बीकानेर का योगदान

काचर की खेती: एक लाभदायक विकल्प भारतीय बागवानी संस्थान बीकानेर का योगदान


काचर की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, बागवानी संस्थान, बीकानेर (राजस्थान) ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यहां से काचर की उन्नत किस्म "एचके 119" के बीज उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। किसानों को यह बीज जनवरी माह के दौरान "पहले आओ, पहले पाओ" की नीति पर दिया जाता है।

बीज की गुणवत्ता और सरकारी कीमत
काचर की किस्म "एचके 119" के बीज उच्च गुणवत्ता वाले हैं। 100 ग्राम बीज का वजन और इसकी सरकारी कीमत स्पष्ट रूप से तय है। बीज का वितरण केंद्रीय बागवानी संस्थान, बीकानेर के माध्यम से किया जाता है, जिससे किसानों को विश्वसनीयता और सही मूल्य मिलता है।

काचर की खेती में मल्टीक्रॉपिंग का महत्व
काचर की खेती को अन्य फसलों के साथ मल्टीक्रॉपिंग के रूप में अपनाना एक लाभकारी विकल्प है। मिर्च की खेती के साथ इंटरक्रॉपिंग में काचर की बेल लगाई जा सकती है। यह फसल 70 दिनों में तैयार हो जाती है और इसका स्वाद और बाजार में मांग दोनों ही बहुत उच्च स्तर पर हैं।

किसानों के लिए फायदे

  • उपज का बाजार मूल्य: तैयार फसल को 45 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बाजार में बेचा जा सकता है।
  • जलवायु अनुकूलता: काचर की फसल विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी उगाई जा सकती है।
  • लागत प्रभावी खेती: अन्य फसलों के साथ इंटरक्रॉपिंग के कारण यह लागत कम करती है और लाभ बढ़ाती है।

केंद्रीय संस्थान से बीज प्राप्ति का तरीका
किसान बीज के लिए संस्थान में संपर्क कर सकते हैं। यहां पहले आने वाले किसानों को प्राथमिकता दी जाती है। किसान अपना पंजीकरण करवा सकते हैं और संस्थान से उन्नत किस्म के बीज प्राप्त कर सकते हैं।

अन्य सब्जियों के बीज भी उपलब्ध
केंद्रीय बागवानी संस्थान से काकड़ी, तर, करेले और अन्य सब्जियों के बीज भी उचित कीमतों पर उपलब्ध हैं। ये बीज भी उच्च गुणवत्ता के हैं और किसानों को बेहतर उपज देने में मददगार साबित होते हैं।

निष्कर्ष
काचर की खेती किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जलवायु और मिट्टी इसके अनुकूल हैं। सही बीज, तकनीकी जानकारी और सरकारी मदद के साथ किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं।

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