chanakya niti: जानिए कैसे लोगों का परिवार खुद कर देते है त्याग, क्या कहा आचार्य चाणक्य ने

चाणक्य नीति: विश्वासघाती और त्यागने योग्य लोग
chanakya niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में जीवन के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है। उनमें से एक महत्वपूर्ण विषय है उन लोगों की पहचान, जिन्हें परिवार द्वारा भी त्याग दिया जाता है। इस संदर्भ में चाणक्य ने कुछ स्पष्ट बातें साझा की हैं।
चाणक्य का श्लोक
चाणक्य नीति में एक महत्वपूर्ण श्लोक है:
पिशुनः श्रोता पुत्रदारैरपि त्यज्यते।
श्लोक का अर्थ
इस श्लोक का अर्थ है कि:
1. विश्वासघात करने वाले लोग: यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार के साथ विश्वासघात करता है, तो उसके परिवार के सदस्य, जैसे पुत्र, पत्नी आदि, उसे त्याग देते हैं।
2. चुगलखोर लोग: ऐसे लोग जो दूसरों की बातों को सच मानकर परिवार में झगड़ा करते हैं, उन्हें भी परिवार का साथ नहीं मिलता।
त्यागने का कारण
चाणक्य के अनुसार, ऐसे व्यक्तियों का त्याग करना ही बेहतर है:
- घर में अशांति: यदि ऐसे व्यक्तियों को नहीं त्यागा जाता, तो वे परिवार में लड़ाई-झगड़े और अशांति का कारण बनते हैं।
- खतरनाक स्वभाव: चुगलखोर और विश्वासघाती व्यक्ति परिवार में माहौल को विषाक्त कर देते हैं, जिससे सभी का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
चाणक्य की यह नीति हमें यह सिखाती है कि ऐसे व्यक्तियों से दूरी बनाना ही सबसे अच्छा है, ताकि परिवार में शांति और सद्भाव बना रहे। इस प्रकार के लोगों के कारण परिवार में संघर्ष और अशांति का माहौल उत्पन्न होता है, जो सभी के लिए हानिकारक होता है।