बच्चे को भूलकर भी ना करें डाटने की गलती, वरना भरना पड़ सकता है हर्जाना
बच्चों को डांटने के नकारात्मक प्रभाव
बच्चों को डांटना एक सामान्य पेरेंटिंग प्रथा है, लेकिन यह कई नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज की मनोचिकित्सक डॉ. वीना तेजना ने इस विषय पर चर्चा की और बताया कि क्यों बच्चों के साथ गुस्से से पेश आना गलत है।
1. गुस्से से नकारात्मक आदतें विकसित होती हैं
डॉ. तेजना का कहना है कि जब पेरेंट्स अपने तनाव या गुस्से का बच्चों पर निकालते हैं, तो इससे बच्चों में नकारात्मक आदतें विकसित हो सकती हैं। यह बच्चों के व्यवहार में बदलाव ला सकता है, जिससे वे गलत रास्ते पर जा सकते हैं।
2. आत्मविश्वास में कमी
बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोपने से उनका आत्मविश्वास घट सकता है। ऐसे में बच्चे अपनी बात कहने से डरते हैं और पेरेंट्स की बातों को अनसुना करने लगते हैं। इससे उनकी आत्म-सम्मान में गिरावट आती है।
3. खराब व्यवहार के लक्षण
लगातार डांटने से बच्चों में कई नकारात्मक लक्षण विकसित हो सकते हैं, जैसे:
- स्कूल बंक करना
- पैसे चुराना
- दोस्तों के साथ दुर्व्यवहार या बुली करना
यह खासकर 3 से 12 साल की उम्र में अधिक देखने को मिलता है। बचपन के अनुभव उनके व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
4. बातचीत का महत्व
बच्चों के गलत व्यवहार को रोकने का सबसे सरल तरीका यह है कि अभिभावक उन्हें समझें और धैर्यपूर्वक उनकी समस्याएं सुनें। यदि बच्चों को स्कूल, कॉलेज या ट्यूशन में कोई परेशानी है, तो उनसे खुलकर बात करें।
5. दोस्त की तरह ट्रीट करें
बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार करना आवश्यक है। प्यार और संयम से बात करने से बच्चे अपने मन की बात साझा कर सकते हैं और सही दिशा में बढ़ सकते हैं।
बच्चों को डांटने के बजाय उन्हें समझना और प्यार से बात करना ज्यादा फायदेमंद होता है। यह न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें बेहतर व्यक्तित्व विकसित करने में भी मदद करता है। इसलिए, पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के साथ दोस्ताना और सहायक रवैया अपनाएं।