Farmers Protest ShwetPatra:MSP पर क्या है स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट? Swaminathan Report
किसानों की मुख्य मांग: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) गारंटी
एमएसपी क्या है और क्यों जरूरी है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) वह न्यूनतम कीमत है, जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है। इसका उद्देश्य किसानों को उनकी फसल के उचित दाम सुनिश्चित करना है, भले ही बाजार में कीमतें गिर जाएं। 1966-67 में शुरू की गई इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य किसानों को नुकसान से बचाना था। वर्तमान में एमएसपी के दायरे में धान, गेहूं, मक्का, चना, अरहर, और ज्वार समेत 23 फसलें आती हैं।
किसान लंबे समय से एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले आंदोलन के दौरान सरकार ने एमएसपी गारंटी कानून का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है।
सरकार और किसानों के बीच गतिरोध
किसानों का दावा है कि एमएसपी कानून न होने के कारण उनकी फसल उचित दामों पर नहीं बिकती। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि अगर एमएसपी को कानूनी गारंटी दी जाती है, तो इससे देश की आर्थिक स्थिति पर भारी दबाव पड़ सकता है।
2018 में कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेस (CACP) ने एमएसपी को कानूनी रूप देने की सिफारिश की थी, लेकिन यह अब तक लागू नहीं हो सका। एमएसपी को कानूनी बनाने के लिए सरकार को नए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी, जिससे भंडारण और वित्तीय समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें
किसानों और किसान संगठनों की मांग है कि एमएसपी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय होनी चाहिए।
- स्वामीनाथन आयोग ने सुझाव दिया था कि किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना (50% ज्यादा) मूल्य मिलना चाहिए।
- इस लागत को ए2, ए2+एफएल और सी2 में विभाजित किया गया है।
- ए2: फसल उत्पादन में सभी नकदी खर्च (बीज, खाद, मजदूरी, सिंचाई आदि)।
- ए2+एफएल: नकदी खर्च के साथ परिवार के सदस्यों की मेहनत की अनुमानित लागत।
- सी2: उपरोक्त सभी लागतों के साथ लीज रेंट और ब्याज शामिल।
एमएसपी के तहत 23 फसलें आती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा लाभ गेहूं और धान को मिलता है।
आर्थिक प्रभाव और चुनौतियां
यदि एमएसपी को कानूनी रूप दिया गया, तो सरकार को हर साल कम से कम 10 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित करना होगा। यह राशि देश के बुनियादी ढांचे, जैसे सड़क और अस्पताल निर्माण, के बराबर होगी। इसके अतिरिक्त, यदि निजी व्यापारी एमएसपी पर फसल नहीं खरीदते, तो सरकार को अनाज खरीदना पड़ेगा, जिससे भंडारण और निर्यात समस्याएं बढ़ेंगी।
नया किसान आंदोलन: पार्ट-2
इस बार किसान आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक), किसान मजदूर मोर्चा, और संयुक्त किसान संघर्ष समिति कर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश के किसान संगठनों ने इस आंदोलन में भाग लिया है।
किसानों की मांगें:
- एमएसपी को कानूनी गारंटी देना।
- फसल की लागत के 50% ज्यादा मूल्य की सिफारिश लागू करना।
- फसल खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना।
सरकार का पक्ष:
सरकार का कहना है कि वह एमएसपी पर चर्चा के लिए कमेटी बनाने को तैयार है, लेकिन इसे कानूनी रूप देना व्यावहारिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।
आगे का रास्ता
किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी मांगों पर अडिग हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत जारी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या कोई ऐसा समाधान निकलता है, जो किसानों और सरकार दोनों के लिए स्वीकार्य हो।
निष्कर्ष
एमएसपी गारंटी कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है। किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए भी सरकार को आर्थिक और व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल, यह देखना होगा कि दोनों पक्ष इस मुद्दे का हल निकालने के लिए कितना आगे बढ़ते हैं।