HKRN Bharti Case Haryana Kaushal हरियाणा कौशल रोजगार निगम पर हाई कोर्ट का शिकंजा: नियुक्तियों पर उठे सवाल
हरियाणा कौशल रोजगार निगम पर हाई कोर्ट का शिकंजा: नियुक्तियों पर उठे सवाल
हरियाणा कौशल रोजगार निगम से संबंधित नियुक्तियों पर विवाद बढ़ता जा रहा है। हाई कोर्ट ने अनुबंध के आधार पर की जा रही भर्तियों को लेकर सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाओं के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के स्थायी भर्तियों से जुड़े निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। आइए जानते हैं इस मामले से जुड़ी अहम बातें।
हाई कोर्ट ने मांगा मुख्य सचिव से जवाब
हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के तहत अनुबंध के आधार पर की गई भर्तियां अब जांच के घेरे में हैं। हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव, एचकेआरएन के सीईओ, और अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने पहले ही स्थायी भर्तियां करने के आदेश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद तदर्थ और अनुबंध आधार पर नियुक्तियां जारी हैं।
103 प्रकार की भर्तियों पर विवाद
याचिका के अनुसार, हरियाणा कौशल रोजगार निगम ने हाल ही में 103 प्रकार की भर्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। इन भर्तियों में प्राथमिक शिक्षक (PRT), प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT), स्नातकोत्तर शिक्षक (PGT), जूनियर इंजीनियर (JE), लैब तकनीशियन, और रेडियोग्राफर जैसे पद शामिल हैं। याचिकाकर्ता का दावा है कि यह नियुक्तियां कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन हैं, जो अनुबंध आधारित नियुक्तियों को रोकने के आदेश दे चुका है।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पुराने आदेशों का हवाला
याचिकाकर्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी मामले में तदर्थ नियुक्तियों को अवैध ठहराते हुए स्थायी भर्ती प्रक्रिया को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया था। इसी तरह, हाई कोर्ट ने भी 2004 के एक आदेश में अनुबंध आधारित भर्तियों पर रोक लगाने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए थे।
भर्तियों की मौजूदा प्रक्रिया पर उठे सवाल
राज्य सरकार पर आरोप है कि उसने अनुबंध आधार पर भर्तियां कर संवैधानिक नियमों की अवहेलना की है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि सभी भर्तियां स्थायी आधार पर की जाएं और अनुबंध आधारित नियुक्तियां रोकी जाएं।
स्थायी भर्तियों की मांग
विशेषज्ञों का मानना है कि स्थायी भर्तियां राज्य के युवाओं के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेंगी। इससे न केवल रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि सरकारी सेवाओं में स्थायित्व भी आएगा। वर्तमान प्रक्रिया में अनुबंध आधारित नियुक्तियां न केवल कर्मचारियों के लिए अस्थिरता लाती हैं, बल्कि कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन करती हैं।
निष्कर्ष
हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत हो रही नियुक्तियों का मामला गंभीर होता जा रहा है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में जवाबदेही तय की जाएगी। अब देखना होगा कि सरकार और संबंधित अधिकारी क्या रुख अपनाते हैं।
यह लेख हरियाणा कौशल रोजगार निगम द्वारा की जा रही अनुबंध आधारित भर्तियों पर उठे विवाद और हाई कोर्ट के निर्देशों पर आधारित है। इसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन, 103 प्रकार की भर्तियों पर उठे सवाल, और स्थायी भर्तियों की मांग को रेखांकित किया गया है।