Mahakumbh 2025 : महिला नागा का वो क्यों काटा जाता है ? | Naga Sadhu | Aghori Sadhu | साधू | बाबा
Mahakumbh 2025 : महिला नागा का वो क्यों काटा जाता है ?

महिला नागा साधुओं का रहस्यमयी संसार
महिला नागा साधु: कौन होती हैं और क्या है उनका महत्व?
महिला नागा साधु भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अद्वितीय पहलू हैं। पुरुष नागा साधुओं की तरह, महिला नागा साधु भी तपस्या और सन्यास को जीवन का मूल उद्देश्य मानती हैं। हालांकि, इनके जीवन और साधना से जुड़ी प्रक्रियाएं और नियम बेहद कठोर और अनोखे होते हैं।
महिला नागा साधु बनने के लिए 10 से 15 साल के कठिन ब्रह्मचर्य और तप का पालन करना पड़ता है। इसके बाद जब गुरु यह सुनिश्चित कर लेते हैं कि महिला अपने सांसारिक मोह से पूरी तरह मुक्त हो चुकी है, तब उसे दीक्षा दी जाती है।
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया पुरुषों की तरह ही लंबी और कठिन होती है। इसमें कई चरणों का पालन किया जाता है:
- ब्रह्मचर्य का पालन: यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें इच्छुक महिला को पूर्ण तपस्या करनी होती है।
- मुंडन और पिंडदान: दीक्षा से पहले महिला का मुंडन होता है और उसे खुद का पिंडदान करना पड़ता है। इसका अर्थ है कि वह अपने परिवार और समाज से नाता तोड़ लेती है।
- साधना और दीक्षा: दीक्षा के बाद महिला अपने जीवन का हर क्षण भगवान शिव के जाप और तपस्या में लगाती है।
नागा साधुओं का रहन-सहन और नियम
महिला नागा साधुओं को पुरुष नागा साधुओं की तरह नग्न रहने की अनुमति नहीं है। वे केवल भगवा वस्त्र पहनती हैं। हर मौसम में उनका यही एकमात्र परिधान होता है। तीर्थों और धार्मिक आयोजनों में भी महिला साधुओं के लिए नग्न स्नान की अनुमति नहीं होती।
महिला नागा साधुओं के गुप्त जीवन की झलक
कुंभ मेले के दौरान महिला नागा साधुओं की झलक मिलती है, लेकिन इसके अलावा उनके बारे में जानना मुश्किल होता है। वे अक्सर पर्वतों, जंगलों और गुफाओं में रहकर साधना करती हैं। इनका जीवन पूरी तरह से गुप्त और तपस्या