नरेंद्र मोदी के लिए खाना बनाती थीं रेखा शर्मा
नरेंद्र मोदी के लिए खाना बनाती थीं रेखा शर्मा
हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट के लिए होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने रेखा शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि राज्यसभा सीट को लेकर कई बड़े चेहरों के नाम चर्चा में थे। इस सीट के लिए भाजपा नेता व पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यू, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली व कुलदीप बिश्रोई जैसे दिज्गजों के नाम चर्चा में थे, लेकिन भाजपा नेतृत्व ने अप्रत्याशित फैसला लेते हुए रेखा शर्मा को अपना प्रत्याशी बना दिया है।
गौरतलब है कि हरियाणा में राज्यसभा की 5 सीटें हैं।
इनमें से एक सीट इसी साल कृष्ण लाल पंवार द्वारा इस्तीफा दिए जाने केे बाद खाली हुई है। पंवार इसी साल विधानसभा चुनाव में विधायक निर्वाचित होने के बाद मंत्री बनाए गए थे। अब इस सीट पर 20 दिसंबर को चुनाव होना है। विधायकों की संख्या के हिसाब से रेखा शर्मा का सर्वसम्मति से चुना जाना तय माना जा रहा है। इस समय 90 विधानसभा सदस्यों में से भाजपा के 48 विधायक हैं तो उसे तीन आजाद विधायकों का भी समर्थन हासिल है। इसी तरह से कांगेस के 37 जबकि इनैलो के 2 विधायक हैं। कांग्रेस की ओर से विधायक आफताब अहमत पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि कांग्रेस के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं है। ऐेसे में वे चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेंगे। उल्लेखनीय है कि रेखा शर्मा को उम्मीदवार बनाकर जहां भाजपा ने जातीय समीकरण साधने की कोशिश की है तो वहीं 5 राज्यसभा सीटों में से दूसरी सीट महिला को देकर महिला सशक्तिकरण का भी उदाहरण पेश किया है। इसी साल भाजपा की ओर से किरण चौधरी राज्यसभा की सदस्य बनी थीं। रेखा शर्मा पिछले करीब चार दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं और संघ की विचारधारा का अनुसरण करती हैं। पंचकूला से संबंध रखने वाली रेखा शर्मा संगठन में कई अहम पदों पर रह चुकी हैं।
जातीय समीकरण साधने की कवायद
हरियाणा में 90 विधानसभा सदस्यों के अनुपात के हिसाब से राज्यसभा की 5 सीटें हैं। सुभाष बराला, किरण चौधरी एवं रामचंद्र जांगड़ा भाजपा से राज्यसभा के सदस्य हैं। बराला एवं किरण चौधरी जाट समुदाय से संबंध रखते हैं। इसी तरह से कार्तिकेय शर्मा निर्दलीय सदस्य हैं। वैसे कार्तिकेय शर्मा भाजपा एवं जजपा के समर्थन के चलते राज्यसभा के सदस्य बने थे और वर्तमान में उनकी मां शक्ति रानी शर्मा कालका से विधायक हैं। खास बात यह है कि एक तरह से मौजूदा सरकार के परिदृश्य और राज्यसभा एवं लोकसभा परिदृश्य पर नजर डालें तो भाजपा ने ब्राह्मण समुदाय को तवज्जो दी है। मोहन लाल बड़ौली को पहले सोनीपत से उम्मीदवार बनाया और अब वे भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। इसी तरह से अरविंद शर्मा कैबिनेट मंत्री हैं जबकि गौतम शर्मा राज्य मंत्री हैं। इसी प्रकार से राज्यसभा के सदस्य कार्तिकेय शर्मा भी ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखते हैं। प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय के करीब 8 फीसदी मतदाता हैं और यह समाज कहीं न कहीं भगवा पार्टी की ओर झुकाव रखता नजर आया है।
ये है रेखा शर्मा का सियासी सफर
राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रह चुकी रेखा शर्मा का जन्म साल 1964 में हुआ। उन्होंने उत्तराखंड से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर करने के बाद मार्कीटिंग एंड एडवरटाइजिंग में डिप्लोमा किया। वे साल 1986 में राजनीति में सक्रिय हो गईं। वे पंचकूला भाजपा जिला इकाई की सचिव रहने के अलावा मीडिया विभाग का भी काम संभालती रहीं। 6 अगस्त 2018 को उन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष बनाया गया। उनका कार्यकाल 6 अगस्त 2021 को आगे बढ़ाया गया। इसी साल 7 अगस्त को रेखा शर्मा ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
रेखा शर्मा का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। पांच भाई-बहनों के बीच उनका पालन-पोषण भी सामान्य सुख-सुविधाओं के बीच हुआ। लेकिन कुछ विशेष कर गुजरने की इच्छा हमेशा से उनके मन के अंदर बनी हुई थी। यही कारण है कि बीस साल की उम्र में वैवाहिक जीवन की शुरूआत करने के बाद भी उन्होंने लगातार अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने का काम जारी रखा। वे लगातार सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी रहीं। खास बात यह है कि 1996 से लेकर साल 2000 तक नरेंद्र मोदी हरियाणा भाजपा के प्रभारी थे।
उस समय वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर हरियाणा भाजपा के संगठन महामंत्री थे। तब मोदी व खट्टर के कार्यक्रमों का आयोजित करवाने में वे सह-मीडिया प्रभारी के रूप में काम करती थीं। महिला सशक्तिकरण के लिए पंचकूला क्षेत्र में उन्होंने अनेक काम किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें महिला सशक्तीकरण के लिए काम करते हुए देखा था। शायद यही कारण रहा कि जब भारत की जनता ने भारी बहुमत से उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में चुना तो उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष के रूप में उन्हें जिम्मेदारी सौंपना ठीक समझा।