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इन खजानों को छिपाने के लिए किए गए तंत्र-मंत्र, जाूद-टोने जाने पूरी जानकारी

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इन खजानों को छिपाने के लिए किए गए तंत्र-मंत्र, जाूद-टोने


यह दुनिया रहस्यों से भरी है। ऐसे-ऐसे रहस्य जिनसे सदियों से पर्दा नहीं हटा है। वैज्ञानिक से लेकर दार्शनिक और इतिहासकार भी ऐसे रहस्यों को जान नहीं पाए हंै।

अननोन फैक्ट सीरिज में आअ हम आपको जानकारी देंगे दुनिया के 5 बेशकीमती खजानों के बारे में। ऐसे खजाने जो रहस्यों से भरे हैं। इन खजानों को छिपने े लिए इनके लिए मालिकों ने तंत्र मंत्र से लेकर जादू टोने का सहारा लिया। इन खजानों को कई लोगों ने तलाशने की जद्दोजहद की, पर कामयाब नहीं हुए। 
बिहार के राजगीर का खजाना


बिहार उत्तर भारत का प्रमुख राज्य है। इस राज्य में भी रहस्यों की अपनी एक दुनिया है। बिहार के राजगीर जिले में सोनभंडार नाम की एक गुफा है। यह गुफा सदियों से बंद पड़ी है। ऐसा माना जाता है कि इस गुफा में अपार सोने-जवाहरात हैं। सोने चांदी से यह गुफा अटी पड़ी है। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में मगम सम्राट बिंबिसार का खजाना है। इस खजाने में अकूत धन संपदा, हीरे जवाहरात और सोने-चांदी भरे पड़े हैं. हालांकि, आज तक इस गुफा को कोई खोल नहीं पाया. कहा जाता है कि इसे इस तरह से डिजाइन कराया गया है कि जिसके पास सही मैप होगा, केवल वही उस खजाने तक पहुंच पाएगा. दरअसल बिहार के नालंदा जिला स्थित राजगीर में दो मानव निर्मित प्राचीन गुफाएं हैं। उनमें एक के बाहर मौर्यकालीन कलाकृतियां मिली हैं तो दूसरी के प्रवेश द्वार पर गुप्त राजवंश की भाषा या चिह्नों में शिलालेख मिले हैं। ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि इन गुफाओं का निर्माण इसा पूर्व चौथी सदी में ‘जैन मुनि’ ने किया था। इन गुफाओं के बाहर भगवान विष्णु की प्रतिमा और जैन कलाकृतियां मिलने से इनका संबंध हिंदू व जैन धर्मों से जोड़ा गया है। कुछ इतिहासकारों की मान्यता है कि इनका संबंध बौद्ध धर्म से है। इतिहासकारों की मानें तो हर्यक वंश के संस्थापक व मगध के सम्राट बिम्बिसार को सोने-चांदी से बेहद लगाव था।


वह ईसा पूर्व 543 में 15 साल की उम्र में गद्दी पर बैठा। उसी ने राजगृह का निर्माण कराया, जो बाद में राजगीर के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि बिम्बिसार के पास अकूत सोना था, जिसे रखने के लिए उसने विभारगिरि पर्वत की तलहटी में एक जुड़वां गुफा बनवाया। इस गुफा में रखे खजाने व गुफा के गुप्त दरवाजे तक पहुंचने का राज केवल बिम्बिसार ही जानता था। काल क्रम में बिम्बिसार के बेटे अजातशत्रु ने सत्ता के लिए पिता को कैद कर खुद मगध का सम्राट बन गया। अजातशत्रु ने या तो बिम्बिसार की हत्या कर दी या उसने सुसाइड कर लिया। उसकी मौत के बाद खजाने का रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा सका है।
ग्रॉसवेनर का खजाना
दरअसल ग्रॉसवेनर खजाने की कहानी बड़ी अनूठी है। ग्रॉसवेनर एक जहाज था। ऐसा माना जाता है कि साल 1782 में भारत क मद्रास से यह जहाज निकला और दक्षिण अफ्रीका में डूब गया। इस जहाज पर दक्षिण भारत से लूट गए इतने बेशकीमती हीरे, जवाहरात और सोनी चांदी के सिक्के थे कि एक अलग शहर बसा लिया जाए। इस खजाने को ढूंढने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन आज तक यह किसी के हाथ नहीं लगा. दरअसल, कुछ लोगों का मानना है कि इस जहाज पर दक्षिण भारत के मंदिरों से लूटे गए कुछ ऐसे विशेष पत्थर और मूर्तियां थीं, जिनको चुरा कर बिना पूजा पद्धति के एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना संभव नहीं था. यही वजह है कि ग्रॉसवेनर नामक जहाज इन तमाम रहस्यमयी चीजों के साथ समुंदर में ही कहीं गायब हो गया.
बावड़ी में दफन है ज्ञानी चोर का खजाना
भारत के हरियाणा राज्य के रोहतक जिला के  पास महम में चोरों की बावड़ी की इतिहास में खास जगह बनी हुई है। इसे 'स्वर्ग का झरना' भी कहा जाता है। मुगलकाल की यह बावड़ी यादों से ज्यादा रहस्यमयी किस्से-कहानियों के लिए जानी जाती है। कहा जाता है कि सदियों पहले बनी इस बावड़ी में अरबों रुपए का खजाना छुपा हुआ है, यही नहीं इसमें सुरंगों का जाल है जो दिल्ली, हिसार और लाहौर तक जाता है? लेकिन इन बातों का इतिहास में कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता। कुछ ऐसे ही प्रश्न हैं जो आज भी लोगों के लिए रहस्य बने हुए हैं। बावड़ी में लगे फारसी भाषा के एक अभिलेख के अनुसार इस स्वर्ग के झरने का निर्माण उस समय के मुगल राजा शाहजहां के सूबेदार सैद्यू कलाल ने 1658-59 ईसवी में करवाया था। इसमें एक कुआं है जिस तक पहुंचने के लिए 101 सीढिय़ां उतरनी पड़ती हैं। इसमें कई कमरे भी हैं, जो कि उस जमाने में राहगीरों के आराम के लिए बनवाए गए थे। सरकार द्वारा उचित देखभाल न किए जाने के कारण यह बावड़ी जर्जर हो रही है। इसके बुर्ज व मंडेर गिर चुके हैं

। कुएं के अंदर स्थित पानी काला पड़ चुका है। इस बावड़ी को लेकर वैसे तो कई कहानियां गढ़ी गई है, लेकिन इनमें प्रमुख है ज्ञानी चोर की कहानी। कहा जाता है कि ज्ञानी चोर एक शातिर चोर था जो धनवानों का लूटता और इस बावड़ी में छलांग लगाकर गायब हो जाता और अगले दिन फिर राहजनी के लिए निकल आता था। लोगों का यह अनुमान है कि ज्ञानी चोर द्वारा लूटा गया सारा धन इसी बावड़ी में मौजूद है। लोक मान्यताओं के अनुसार ज्ञानी चोर का अरबों का खजाना इसी में दफन है। जो भी इस खजाने की खोज में अंदर गया वो इस बावड़ी की भूलभुलैया में खो गया और खुद एक रहस्य हो गया। लोगों का कहना है कि उस समय का प्रसिद्व ज्ञानी चोर चोरी करने के बाद पुलिस से बचने के लिए यहीं आकर छुपता था। कई जानकार इस जगह को सेनाओं की आरामगाह बताते हैं। उनका कहना है कि रजवाड़ों में आपसी लड़ाई के बाद राजाओं की सेना यहां रात को विश्राम करती थी। छांव व पानी की सुविधा होने के कारण यह जगह उनके लिए सुरक्षित थी। 
चंगेज खान का खजाना
मंगोल साम्राज्य के बादशाह चंगेज खान के अनूठे किस्से और कहानियों पर बेशुमार फिल्में बनीं। चंगेज खान का एक खजाना भी है। इस खजाने को आज तक कोई खोज नहीं पाया है। मंगोल साम्राज्य की नींव रखने वाला चंगेज खान अपने समय में दुनिया का सबसे प्रसिद्ध और महान योद्धा था। उस समय चंगेज खान ने करीब पूरी दुनिया पर जीत हासिल कर ली थी और खूब धन-दौलत जमा कर लिया था। सन 1227 में चंगेज खान की मौत हो गई। बताया जाता है कि एक अज्ञात जगह पर उसके शव और खजाने को दफनाया गया। कहा जाता है कि इस खजाने की खोज में जो भी गया, वह लौटकर नहीं आया।


 
जेन लैफिट का खजाना

जेन लैफिट और उसका भाई पियरे दोनों कुख्यात मैक्सिकन समुद्री डाकू थे. कहा जाता है कि वह मेक्सिको की खाड़ी से गुजरने वाले ज्यादातर जहाजों को लूट लिया करते थे. दशकों तक लूटपाट करते हुए उन्होंने अथाह संपत्ति इक_ा कर ली थी. और उन्होंने यह पूरी लूटी हुई दौलत मेक्सिको की खाड़ी के पास ही कहीं छिपा दिया था. लेकिन एक दिन अचानक दोनों भाइयों की मौत हो गई और वह खजाना वैसे का वैसा छिपा रह गया. इस खजाने को भी ढूंढने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन यह आज तक नहीं मिला. कहा जाता है कि इन दोनों भाइयों का लगाव उस खजाने से इतना ज्यादा था कि मरने से पहले उन्होंने इसे छुपाने के लिए एक ऐसी रहस्यमयी जगह ढूंढी जहां इनके अलावा और कोई पहुंच ही ना सके. यही वजह है कि वह खजाना आज भी वहीं कहीं मेक्सिको की खाड़ी में दफऩ है.

ओक आईलैंड का खजाना

ओक आइलैंड के खजाने को लेकर कई रहस्यमयी कहानियां हैं. कहा जाता है कि इस आईलैंड पर अरबों का खजाना है. सोचिए की इस खजाने की कीमत कितनी ज्यादा होगी कि अमेरिका के राष्ट्रपति रहे फ्रैंकलीन रुजवेल्ट ने भी इसे ढूंढने की बहुत कोशिश की है. हालांकि, जब वह इसे ढूंढने की कोशिश कर रहे थे तब वह अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं थे. लेकिन यह खजाना आज तक किसी के हाथ नहीं लगा. कहा जाता है कि कई समुद्री लुटेरों की बिरादरी अपना खजाना इसी आईलैंड पर रखती थी. इस खजाने की रक्षा के लिए उन्होंने इस आईलैंड पर ऐसी कई गुफाओं का निर्माण किया है, जिन्हें ढूंढ पाना और खोल पाना लगभग नामुमकिन है. 

पांचवा और सबसे अहम पद्मनाभस्वामी मंदिर का खजाना

केरल में स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर अकूत दौलत का भंडार है. त्रावणकोर के राजाओं द्वारा बनवाया गया यह मंदिर कई रहस्यों से भी भरा है. इस मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिनमें अकूत धन संपदा भरी हुई है. अब तक छह तहखाने खोले जा चुके हैं. इन 6 तहखानों से लगभग एक लाख 32 हजार करोड़ की संपत्ति मिल चुकी है. लेकिन सातवें तहखाने को खोलने की किसी की हिम्मत नहीं हुई. दरअसल, सातवें तहखाने के दरवाजे पर जहरीले सांपों की आकृति बनी हुई है. कहा जाता है कि इस तहखाने में जो कुछ भी रखा गया है, उसकी रक्षा बहुत खतरनाक और पावरफुल शक्तियां करती हैं.

अगर इसे खोलने की कोशिश की गई तो पूरी दुनिया में तबाही आ सकती है. यही वजह है कि इस तहखाने को शापित माना जाता है. कहा जाता है कि जो भी इस दरवाजे को खोलेगा उसकी मृत्यु निश्चित है. हालांकि, तमाम खजानों को लेकर इस तरह की बातें किंवदंतियों की तरह सदियों से कही सुनी जा रही हैं, लेकिन इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और ना ही अब तक ऐसा कुछ प्रूफ हुआ है कि यह खजाने शापित हैं या इन्हें तंत्र-मंत्र के जरिए बंद किया गया है.

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