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नेता जी की सुहागरात का किस्सा, गारंटी है हंसी नहीं रुकेगी | Shambhu Shikhar

नेता जी की सुहागरात का किस्सा, गारंटी है हंसी नहीं रुकेगी |

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Shambhu Shikhar |

नेता जी की सुहागरात का किस्सा, गारंटी है हंसी नहीं रुकेगी | Shambhu Shikhar |

मोदी जी पर हास्य व्यंग्य

एक शख्स ने मुझसे कहा, "यार, ये मोदी जब से आया है, देश 500 साल पीछे चला गया।" मैंने कहा, "योगी जी को आने दो, त्रेता युग में ले जाएंगे।"
मोदी जी पर बात चली तो किसी ने कहा, "नासा के वैज्ञानिकों ने मोदी जी को दो मिसाइलें दीं। मोदी जी ने पूछा, 'इनका मैं क्या करूं?' वैज्ञानिक बोले, 'सर, आपको तो आदत है, फेंकने की।'"

उत्तर प्रदेश की राजनीति और हास्य

उत्तर प्रदेश में चुनावों के दौरान कांग्रेसियों ने प्रियंका गांधी को "रूफ का इक्का" बताया। मैंने कहा, "अब तक जोकरों से खेल रहे थे, इक्का तो पहले से था।"
योगी जी के एंटी रोमियो अभियान पर व्यंग्य करते हुए लिखा:
"जुल्फों में उंगलियों को फिराने नहीं देते,
कलियों के पास भंवरे को जाने नहीं देते।
इतनी सी शिकायत है हमें योगी आपसे,
खुद से न पटती, हमको पटाने नहीं देते।"

नोटबंदी और आम जनता की किस्मत

नोटबंदी के बाद मेरे पड़ोस की भाभी जी का फोन आया, जो पहले कभी मुझसे बात नहीं करती थीं। उन्होंने कहा, "भाई साहब, 10:30 बजे घर आ जाना, कुछ जरूरी काम है।" मैं उत्साहित होकर पहुंचा, तो उन्होंने दो-दो हज़ार के नोट दिखाए और कहा, "इन्हें छुट्टे करवा दीजिए। भाई साहब को मत बताइए।"

बिहारी जुगाड़ और चुटीले किस्से

बिहार में शराबबंदी के बाद मैंने कहा, "बिहार में भगवान और शराब एक जैसे हैं। दोनों हर जगह हैं, लेकिन दिखते नहीं।"
एक बार मिठाई का ऑर्डर गलती से 100 किलो का हो गया। दुकानदार ने फोन किया, "साहब, मिठाई कहां भिजवानी है?" मैंने कहा, "भाई, यह फोन किसने किया, मुझे नहीं पता। हमारे घर में सबसे बड़े से बात करने के लिए एक दबाइए, छोटे से बात करने के लिए दो दबाइए।"

अंतरराष्ट्रीय व्यंग्य और चाय का किस्सा

दुबई यात्रा के दौरान तीन लोग चाय पी रहे थे—एक अमेरिकी, एक दुबई का, और एक उत्तर प्रदेश का।
अमेरिकी ने चाय का कप उछालकर गोली मार दी और कहा, "हम जिस कप में चाय पीते हैं, उसमें दोबारा नहीं पीते।"
दुबई वाले ने सोफे को गोली मार दी और कहा, "हम जिस सोफे पर बैठकर चाय पीते हैं, उस पर दोबारा नहीं बैठते।"
उत्तर प्रदेश वाले ने रिवॉल्वर निकाली, दोनों को गोली मार दी, और कहा, "हम जिसके साथ बैठकर एक बार चाय पीते हैं, उसके साथ दोबारा चाय नहीं पीते।"

लॉकडाउन और जनसंख्या

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम की वजह से देश में दो गज की दूरी का उल्लंघन हुआ, और अब हम आबादी में नंबर वन बन गए। संस्कारों और शर्म से भरी इस आबादी पर व्यंग्य करते हुए कहा, "हम शर्मीले न होते तो कितने होते?"

निष्कर्ष

इस हास्य से भरे लेख के ज़रिए आपको हमारे समाज, राजनीति और रोज़मर्रा की जिंदगी के मजेदार पहलुओं पर सोचने का मौका मिलता है। उम्मीद है, यह लेख आपकी मुस्कान का कारण बनेगा।

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