ये इच्छाएं स्त्रियों में होती है पुरुषों से ज्यादा, लेकिन वो नहीं करती शेयर
आचार्य चाणक्य की नीतियों में स्त्रियों की भावनात्मक और मानसिक ताकत को गहराई से समझाया गया है। उन्होंने स्त्रियों की आवश्यकताओं और उनके अंतर्निहित गुणों को परिभाषित किया है। उनका कहना है कि:
1. भूख: स्त्रियों की भूख पुरुषों से दुगनी होती है, जो उनके अंदर की गहरी इच्छाओं और जरूरतों का प्रतीक है। यह केवल शारीरिक भूख नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक आवश्यकताओं को भी दर्शाती है।
2. लज्जा (शर्म): स्त्रियों में लज्जा चार गुना अधिक होती है। यह उनकी शिष्टता और सामाजिक संस्कारों की रक्षा करने की प्रवृत्ति को दर्शाती है। लज्जा के पीछे एक मजबूत सामाजिक जिम्मेदारी और आत्म-गौरव भी निहित होता है।
3. साहस: साहस के मामले में स्त्रियों का गुण पुरुषों से छह गुना अधिक है। यह उनके अदम्य साहस और चुनौतियों का सामना करने की क्षमता को उजागर करता है।
4. काम भावना: काम की इच्छा स्त्रियों में पुरुषों से आठ गुना अधिक होती है। हालांकि, वे इसे अपनी लज्जा और संस्कारों के चलते अक्सर छिपाए रखती हैं।
चाणक्य की यह दृष्टि न केवल स्त्रियों की ताकत को पहचानती है, बल्कि उनके साहस और संवेदनशीलता को भी उजागर करती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि स्त्रियाँ अपने परिवार और समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, और उनकी भावनाएँ और इच्छाएँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।