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फतेहाबाद में 4 वर्षीय बच्ची के दुष्कर्म मामले में पंचायत ने करवा दिया राजीनामा, कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा

In the case of rape of a 4-year-old girl in Fatehabad, the panchayat got the resignation done, the court sentenced it to 10 years.

COURT
हरियाणा में आये दिन बलात्कार की वारदात सामने आती रहती हैं। ऐसे में कई मामले दर्ज करवा दिए जाते है जबकि कई मामलों में परिवार और समाज के लोग बदनामी से डर कर रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करवाते। आज का मामला भी कुछ ऐसा ही है। फतेहाबाद में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह की कोर्ट ने बच्चों के साथ यौन शोषण के गंभीर मामलों में पुलिस की लापरवाही और पंचायत के रवैये पर नाराजगी जताई है। अदालत ने फैसला सुनाया है कि दुष्कर्म के मामले में ग्राम पंचायतें समझौता नहीं करा सकतीं।

HARDUM HARYANA NEWS

फतेहाबाद 

हरियाणा में आये दिन बलात्कार की वारदात सामने आती रहती हैं। ऐसे में कई मामले दर्ज करवा दिए जाते है जबकि कई मामलों में परिवार और समाज के लोग बदनामी से डर कर रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करवाते। आज का मामला भी कुछ ऐसा ही है। फतेहाबाद में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह की कोर्ट ने बच्चों के साथ यौन शोषण के गंभीर मामलों में पुलिस की लापरवाही और पंचायत के रवैये पर नाराजगी जताई है। अदालत ने फैसला सुनाया है कि दुष्कर्म के मामले में ग्राम पंचायतें समझौता नहीं करा सकतीं। अदालत ने तीन जून 2019 में चार साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले की सुनवाई करते हुए दोषी को 10 साल की कैद की सजा सुनाते हुए यह टिप्पणी की।

चार वर्ष की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दर्ज मुकदमे में ग्राम पंचायत ने पंचायती तौर पर राजीनामा करवा दिया। इतना ही नहीं डीएसपी दलजीत सिंह ने भी हलफिया बयानों के आधार पर दोषी को क्लीनचिट देकर कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट जमा करवा दी। कोर्ट ने कहा कि हैरानी की बात है कि डीएसपी ने दोषी से पूछताछ भी नहीं की। केवल हलफिया बयान के आधार पर दोषी को क्लीनचिट दे दी।

हलफिया बयान के लिए स्टांप पीड़िता व शिकायतकर्ता ने नहीं खरीदे, बल्कि स्टांप पेपर किसी सत्यवान नामक व्यक्ति ने खरीदे। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिख दिया कि पीड़िता को गलतफहमी हो गई थी। ऐसा कहने भर से गलतफहमी नहीं होती, क्योंकि मुकदमा दर्ज होते ही चार वर्ष की पीड़िता और शिकायतकर्ता ने कोर्ट व काउंसलर को जो बयान दिए वह सबूत के लिए काफी हैं। इस मामले में पंचायती तौर पर राजीनामा मान्य नहीं है।

कोर्ट ने फैसले में लिखा है कि दुख की बात है कि दोषी ने कभी भी जांच में सहयोग नहीं किया और डीएसपी ने ब्लांइड कैंसिलेशन रिपोर्ट सबमिट कर दी। कोर्ट ने बच्चों के साथ हो रहे यौन शोषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हर नौ मिनट में एक बच्चे के साथ घटना घट रही है।


कोर्ट ने कहा कि 91 फीसदी मामले में तो परिवार में या जान पहचान के लोगों द्वारा ही किए जाते हैं। इन मामलों का असर बच्चे पर लंबी उम्र तक रहता है, जिसमें उनका व्यवहार, मानसिक व शारीरिक स्थिति प्रभावित होती है। फतेहाबाद में चार वर्ष की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने दोषी को 10 वर्ष की कैद सुनाते हुए कहा कि निसंदेह इस मामले में पुलिस अपना दायित्व निभाने में विफल रही है, लेकिन कोर्ट पीड़िता के अधिकार की अनदेखी नहीं कर सकती।

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