सिरसा : नशा छुड़ाने के नाम पर भूखा रख करते थे प्रताड़ित,नशामुक्ति केंद्र में लाए गए कुछ युवकों ने लगाए आरोप
Sirsa: Used to starve in the name of de-addiction, tortured, some youths brought to de-addiction center made allegations

सिरसा जिला के नागरिक अस्पताल ने नशा मुक्ति केंद्र में लाए गए कुछ लड़कों ने खुलासा किया है। कि यहां पर उन्हें दुआइयाँ तो दी नहीं जाती लेकिन भूखा जरूर मार दिया जाएगा। यह घटना सामने आते ही प्रशासन हरकत में आ गया। सिरसा जिला के गांव वैद्वावाला ढाणी व बरनाला रोड के पास गैर कानूनी नशा मुक्ति केंद्र चल रहे थे। जिनके पास किसी प्रकार का कोई लाइसेंस नहीं था ना ही कोई काउंसलर या कोई डॉक्टर भी नहीं था। इसके अलावा इसके एक सेंटर में 11 और दूसरे सेंटर में 17 सहित 29 लोग नशा छुड़ाने के लिए यहां पर दाखिल किए गए थे । नशा छुड़ाने को काउंसलर या डॉक्टर की जरूरत होती है। लेकिन ऐसा यहां पर कुछ नहीं था।
बल्कि कई तरह की प्रताड़ना और खाना न देना यह प्रक्रिया लगातार उन युवकों के साथ दोहराई जा रही थी। सिरसा के नागरिक अस्पताल में नशा मुक्ति केंद्र में लाए गए युवकों ने खुलासा करते हुए कहा है कि इन नशा मुक्ति केंद्रों की पोल तब खुली थी। जब वहां पर इलाज के लिए आए युवक ने सुसाइड कर लिया था। यह मामला पुलिस के सामने आया पुलिस ने इस मामले की जांच की और सिरसा के नागरिक अस्पताल के सीएमओ ने डॉ साकेत सेतिया पीएनडीटी सेल सिरसा रणजीत सिंह विक्रम सोनी की निगरानी में एक टीम गठित की गई। टीम ने वैद्ववाला में चल रहे अवैध नशा मुक्ति सेंटर का जब जाकर निरीक्षण किया गया।
जिसमें वहां जाकर देखा कि 11 लोग पंजाब के थे जो नशा छोड़ने के लिए यहां पर इस केंद्र में आए हुए थे। केंद्र पर टीम की नशीली दवाइयां भी काफी मात्रा में बरामद हुई। ताकि लोगों का मेडिकल चेकअप फिर से करवाया गया। पुलिस ने केंद्र संचालक परमजीत सिंह पुत्र जसवीर सिंह विक्की पंजाब के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है।
10 से 15 हजार लेते थे खर्च
मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा है कि 11 युवकों को पुलिस मेडिकल हेतु लाई जिसमें तीन गंजा चार शराब चार चिता के मरीज थे काउंसलिंग के तहत कुछ युवकों ने नशा छुड़ाने को केंद्र में किस तरह से उनके साथ व्यवहार किया जाता था यह खुलासा किया तो प्रशासन हरकत में आ गया युवकों ने जानकारी देते हुए कहा कि 10 से ₹15 महीने के लेते थे नशा छुड़ाने के नाम पर पर उन्हें नए तो टाइम पर दवाई दी जाती थी और ना ही टाइम के ऊपर खाना दिया जाता था उन्हें बहुत ज्यादा परेशान किया जाता था झा नशा छोड़ा ना जान पर भारी पड़ सकता है वहीं डीएसपी राज्य हैं मनोरोग विशेषज्ञ इस मामले में जांच लेने पहुंचे थे