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कोलकाता रेप के पीछे गहरी साजिश का संकेत, सुबह 6 से 11 बजे के बाद मिली लेडी डॉक्टर की लाश,

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जूनियर डॉक्टर के शव के बारे में सबसे पहले डॉ. घोष ने सुबह नौ बजे ही पुलिस को सूचना दी. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शव सबसे पहले सुबह 6 बजे सेमिनार हॉल में देखा गया. अस्पताल के प्राचार्य डॉ. घोष को शव के बारे में सुबह 7 बजे पता चला जब उन्होंने 9 बजे पुलिस को फोन किया।कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर: पिछले 9 अगस्त को सुबह करीब 7 बजे। कॉल डिटेल रिकॉर्ड के मुताबिक, यही वह समय था जब आरजी कर अस्पताल से अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के मोबाइल पर पहली कॉल आई थी. फोन करने वाला अस्पताल का एक स्टाफ सदस्य था जिसने पहली बार डॉ. घोष को सूचित किया कि चेस्ट मेडिसिन विभाग में तैनात प्रशिक्षु जूनियर डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में पड़ा है। पूरी जानकारी देने के बाद फोन कट जाता है। अगले कुछ मिनटों में, कॉल करने वाला अब जूनियर डॉक्टर की लाश की तस्वीर डॉ. घोष को व्हाट्सएप पर भेजता है। शव सेमिनार हॉल में पड़ा हुआ था. डॉ. संदीप घोष आरजी कर अस्पताल से लगभग आधे घंटे की दूरी पर फूलबागान इलाके में रहते हैं। खबर मिलते ही वे अस्पताल जाने की तैयारी करने लगते हैं.

हर पल की पूरी कहानी


इस बीच सेमिनार हॉल में शव पड़े होने की खबर पूरे अस्पताल में फैल गयी. सभी डॉक्टर, जूनियर डॉक्टर, प्रशिक्षु डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और यहां तक ​​कि अस्पताल के बाकी कर्मचारी भी सेमिनार हॉल में पहुंच गए थे, लेकिन डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ होने और अपराध स्थल के महत्व को जानने के बावजूद, सभी ने अपराध स्थल के सबूत मिटा दिए। चप्पल और हाथ के निशान के साथ. लाश के आसपास शायद ही कोई ऐसी चीज़ हो जिस पर भीड़ ने अनजाने में अपने निशान न छोड़े हों. यही वो पल था जब घटनास्थल के सबूतों के साथ सबसे ज्यादा छेड़छाड़ की गई. इस बीच, फोन पर सूचना मिलने के बाद डॉ. संदीप घोष सुबह करीब 8 बजे अस्पताल पहुंचे थे और वह भी सीधे सेमिनार हॉल में पहुंचे, जहां जूनियर डॉक्टर का शव पड़ा हुआ था जूनियर डॉक्टर नहीं रहे जिंदा, जगह-जगह पड़ी थी लाश अस्पताल में अपने सभी करीबी लोगों से बात करने के बाद डॉ. घोष ने सुबह 9 बजे सबसे पहले खुद जूनियर डॉक्टर के शव की सूचना पुलिस को दी.. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, शव सबसे पहले सुबह 6 बजे सेमिनार हॉल में देखा गया.. अस्पताल प्राचार्य डॉ। घोष को शव के बारे में सुबह 7 बजे जानकारी मिली... जबकि उन्होंने पुलिस को सुबह 9 बजे फोन किया... यानी पहली बार शव देखे जाने के पूरे 3 घंटे बाद। शुक्रवार, 9 अगस्त। सुबह के 10:53 बजे थे. तभी पहली बार आरजी कर अस्पताल से जूनियर डॉक्टर की मां को फोन किया गया था.. यानी शव मिलने के 4 घंटे 53 मिनट बाद.. फोन करने वाले ने बताया कि वह आरजी कर अस्पताल से बोल रहा है.. इसके बाद उसने कहा कि आपकी बेटी अचानक बीमार पड़ गई है.. इसके बाद फोन कट गया.. घबराई मां ने तुरंत उसी नंबर पर कॉल किया.. और पूछा कि बेटी को क्या हुआ.. सामने से जवाब मिला आप तुरंत अस्पताल आ जाएं। फोन फिर बंद हो गया.. मां ने फिर वही नंबर मिलाया.. इस बार फोन उठाने वाले ने कहा कि वह सहायक अधीक्षक बोल रहा है.. आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है.. इतने पर फोन फिर कट जाता है। अपनी बेटी की आत्महत्या की खबर सुनकर माता-पिता तुरंत अस्पताल पहुंचे। उनके घर से अस्पताल की दूरी लगभग एक घंटे थी। माता-पिता दोपहर 12 बजे के आसपास अस्पताल पहुंचे थे। कोई भी स्टाफ उन्हें उनकी बेटी से नहीं मिलवा रहा था। इस दौरान माता-पिता एक बार अपनी बेटी का चेहरा दिखाने की गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने नहीं दिखाया। दोपहर 3 बजे पहली बार माता-पिता को अपनी बेटी का शव दिखाई दिया।


शुक्रवार, 9 अगस्त। अपराह्न 3 बजे अस्पताल पहुंचने के करीब 3 घंटे बाद दोपहर 3 बजे सबसे पहले माता-पिता को उनकी बेटी का शव दिखाया गया... जूनियर डॉक्टर की मां ने कहा कि उनकी बेटी की पैंट खुली हुई थी... उसके पूरे शरीर पर सिर्फ कपड़े का एक टुकड़ा था, मां ने डॉक्टरों को बताया मौके पर कहा कि यह आत्महत्या नहीं हत्या है...मेरी बेटी की हत्या की गई है। शव की हालत ऐसी थी कि कोई भी आसानी से बता सकता था कि यह हत्या है... तो अस्पताल ने जूनियर डॉक्टर की मां से सुबह दो बार झूठ क्यों बोला? पहला झूठ यह है कि वह बीमार है... और दूसरा यह कि उसने आत्महत्या की है... तो जिस सहायक अधीक्षक ने जूनियर डॉक्टर की मां को यह बात बताई थी, शुरुआत में जब कोलकाता पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने अपनी सफाई में यह बात कही. चूंकि डॉक्टर की मौत हो चुकी थी, इसलिए वह सीधे तौर पर परिवार को सच नहीं बताना चाहते थे... इसलिए उन्हें अस्पताल आने के लिए कहा गया... लेकिन यहां सवाल यह है कि अगर डॉक्टर की मौत को छिपाना ही था तो ऐसा क्यों किया गया? आप कहते हैं कि पहली कॉल में बीमार होने की बात कहने के बाद आपने दूसरी बार आत्महत्या कर ली? सहायक अधीक्षक के पास कोई जवाब नहीं था. बेटी की हत्या सेमिनार हॉल में नहीं की गयी

बाद में जूनियर डॉक्टर के पिता को वह सेमिनार हॉल भी दिखाया गया जहां उनकी बेटी का शव मिला था... पिता ने आरोप लगाया कि उन्हें शक है कि उनकी बेटी की हत्या सेमिनार हॉल में नहीं की गई, बल्कि उसकी हत्या के बाद शव यहां लाया गया है. और फेंक दिया. शुक्रवार, 9 अगस्त की शाम और रात तक जूनियर डॉक्टर की मौत की पूरी कहानी आरजी कर हॉस्पिटल की दीवारों के अंदर थी...बाहरी मीडिया के जरिए जो खबरें आईं वो भी आधी-अधूरी थीं...कोलकाता पुलिस भी कुछ ही क्षणों में, मामले और मामले की जांच को उस तरह से नहीं लिया गया जिस तरह से लिया जाना चाहिए था... इसलिए जैसे-जैसे शनिवार करीब आया, डॉक्टर की मौत और बलात्कार की खबर धीरे-धीरे अस्पताल की दीवारों से परे फैल गई, पहले कोलकाता और फिर बाकी देश.. दर्जनों थ्योरी एक साथ हवा में तैरने लगीं... धरना और आंदोलन सबसे पहले उसी आरजी अस्पताल से शुरू हुआ जहां जूनियर डॉक्टर का शव मिला था, लेकिन फिर जल्द ही पूरे देश से डॉक्टर इस आंदोलन में शामिल हो गए... अब उंगली अस्पताल प्रशासन से हट कर पहले ममता सरकार, फिर कोलकाता पुलिस, फिर कोलकाता पुलिस कमिश्नर घुमने लगी... फिर बीच में कोलकाता हाई कोर्ट आया और मामले में जल्दबाजी की गई सीबीआई को सौंप दिया गया...सीबीआई की टीम ने भी तुरंत दिल्ली से कोलकाता तक मार्च किया...और जांच शुरू कर दी


अब सवाल ये है कि आखिर सीबीआई किस बात की जांच कर रही है? और सवाल यह है कि कोलकाता पुलिस ने सीबीआई से पहले क्या जांच की? तो सबसे पहले जांच कोलकाता पुलिस ने की, क्योंकि जांच कोलकाता पुलिस ने शुरू की थी...कोलकाता पुलिस के मुताबिक 9 अगस्त की सुबह करीब 9.15 बजे जब वह सेमिनार हॉल में पहुंचे तो वहां उन्हें जूनियर डॉक्टर का शव मिला, उनका मोबाइल फोन, लैपटॉप और पास में एक ब्लूटूथ नेकबैंड मिला... लेकिन जब जूनियर डॉक्टर के मोबाइल से कनेक्ट किया गया तो पता चला कि ब्लूटूथ उसका नहीं, बल्कि दूसरे मोबाइल से कनेक्ट था... फिर पुलिस अस्पताल पहुंची और सबसे पहले सभी सीसीटीवी कैमरे खंगाले तीसरी मंजिल पर सेमिनार हॉल के प्रवेश और निकास द्वार पर... सेमिनार हॉल के अंदर कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं थे... लेकिन सेमिनार हॉल की ओर जाने वाले कुछ कैमरे थे, इन कैमरों में गलियारे में कई लोगों को आते-जाते हुए दिखाया गया था तीसरी मंजिल पर सेमिनार हॉल की ओर जाते हुए कोलकाता पुलिस ने सबसे पहले उनसे अपनी जांच शुरू की, एक व्यक्ति को छोड़कर, बाकी सभी अस्पताल के कर्मचारी थे... और एकमात्र व्यक्ति जो बाहरी व्यक्ति था, वह संजय रॉय है... एक नागरिक। कोलकाता पुलिस से स्वयंसेवक।

योनि से 151 मिलीग्राम सफेद तरल पदार्थ मिला


संजय रॉय बाद में अस्पताल के पास एक पुलिस बैरक में सोते हुए पाए गए... पुलिस ने बैरक से उनके कपड़े बरामद किए, जो उन्होंने धोए थे... लेकिन उनके जूतों पर कुछ खून के निशान पाए गए... जब संजय रॉय के पास से ब्लूटूथ नेकबैंड मिला घटनास्थल K के मोबाइल से कनेक्ट था, तुरंत कनेक्ट हो गया...कोलकाता पुलिस को यकीन हो गया कि संजय रॉय ही हत्यारा है...उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इस बीच डॉक्टरों का आंदोलन अब जोर पकड़ने लगा है... इसी बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी सामने आ गई... रिपोर्ट में मौत की वजह गला घोंटना बताया गया... रेप या गैंग रेप की पुष्टि के लिए जूनियर डॉक्टर और संजय रॉय DNA- रेप के सैंपल भी फॉरेंसिक लैब में भेजे गए... लेकिन इसी बीच एक डॉक्टर ने बयान दिया कि जूनियर डॉक्टर की योनि से 151 मिलीग्राम सफेद तरल पदार्थ मिला था, उन्होंने दावा किया कि बलगम और दो-तीन चीजों के अलावा ज्यादातर तरल का जिक्र है. इतनी बड़ी मात्रा में वीर्य की मौजूदगी पर डॉक्टर ने दावा किया कि यह मामला रेप नहीं, बल्कि सामूहिक दुष्कर्म का है... हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि एक औसत भारतीय पुरुष का वीर्य पांच मिलीग्राम के करीब होगा... तदनुसार, यदि हम मान लें कि 151 मिलीग्राम में से सौ मिलीग्राम भी बलगम या अन्य चीजें हैं, और शेष 50 मिलीग्राम वीर्य है, तो क्या औसतन पांच ग्राम में से दस लोगों ने मिलकर काम किया? और अगर 151 मिलीग्राम में से सौ मिलीग्राम वीर्य है, तो क्या 20 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया?

तो क्या 20 लोगों ने किया गैंग रेप?


डॉक्टर के इस बयान के बाद हर तरफ गैंगरेप की थ्योरी चलने लगी...फिर हुआ ये कि कोलकाता पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद जूनियर डॉक्टर के अंतिम संस्कार की जल्दबाजी की...परिवार का आरोप है कि कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया गया होने वाले समारोह के लिए पहले से ही तीन ताबूत रखे गए थे, उनका अंतिम संस्कार कानून से पहले होना था... लेकिन कोलकाता पुलिस के दबाव के कारण जूनियर डॉक्टर का अंतिम संस्कार पहले कर दिया गया... कोलकाता पुलिस की ये जल्दबाजी भी और बढ़ गई जूनियर डॉक्टर की मौत की साजिश को हवा. हालांकि, इस जल्दबाजी पर कोलकाता पुलिस ने सफाई भी दी... पुलिस ने कहा कि चूंकि जूनियर डॉक्टर की मौत के बाद से आंदोलन चल रहा था, इसलिए कानून-व्यवस्था के मद्देनजर पुलिस ने ऐसा किया... हालांकि इसके लिए मां-अनुमति पिता से लिया गया था.

क्या संजय राय ने अकेले ही जूनियर डॉक्टर की हत्या की?


कोलकाता पुलिस की जांच की इसलिए भी आलोचना हुई क्योंकि संजय रॉय की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने मामले को सुलझाने का दावा कर इसे बंद करने का लगभग फैसला कर लिया था... जबकि लोगों को लगा कि ऐसा करके पुलिस आरजी कर गलतियों को छिपाने की कोशिश कर रही है कर हॉस्पिटल के प्रिंसिपल समेत बड़े लोगों की...इसी बीच आरजी कर हॉस्पिटल के कुछ पुराने मामले सोशल मीडिया पर तैरने लगे...जिनमें 2003 का सौमित्र विश्वास आत्महत्या मामला भी शामिल है...आरोप लगा कि मामले को दबाने के लिए सौमित्र की भी हत्या कर दी गई अस्पताल के अंदर सेक्स और पोर्नोग्राफी रैकेट... इस बीच, एक बीजेपी सांसद ने अस्पताल में मानव अंगों की तस्करी का मुद्दा उठाते हुए एक नई थ्योरी पेश की है। अब इन अनगिनत थ्योरी के बीच बात आती है सीबीआई जांच की... तो इस वक्त सीबीआई के सामने सबसे अहम सवाल हैं जिनका जवाब उसे ढूंढना है, वो ये हैं... क्या जूनियर डॉक्टर की हत्या अकेले संजय रॉय ने की थी. ..क्या इस हत्या के पीछे मकसद रेप था...क्या विरोध करने पर संजय रॉय ने उसका गला घोंट दिया...क्या जूनियर डॉक्टर के शरीर पर सारी चोटें विरोध के दौरान हुई मारपीट के दौरान आईं...और क्या ये हत्याएं हुईं यह सेमिनार हॉल के अंदर हुआ।

परिवार को आत्महत्या के बारे में क्यों बताया गया?


सूत्रों के मुताबिक, सीसीटीवी कैमरे की फुटेज ने इनमें से कई सवालों के जवाब दे दिए हैं... लेकिन कुछ सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब अभी भी मिलना बाकी है... जैसे सुबह 6 बजे शव देखा गया, फिर पुलिस अगले तीन घंटे तक क्यों रही? शव मिलने के करीब पांच घंटे बाद तक परिवार को इसकी सूचना नहीं दी गई... परिवार को आत्महत्या की सूचना क्यों दी गई... शव मिलने की सूचना परिवार को सुबह सात बजे क्यों दी गई, आगे की जानकारी के लिए दो घंटे? अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष ने सुबह नौ बजे तक आरजी से क्या किया? उन्होंने किससे बात की? प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष पुलिस के पास क्यों नहीं गए लेकिन कोलकाता पुलिस के बुलाने के बावजूद अचानक सेमिनार हॉल के पास निर्माण कार्य क्यों शुरू हो गया... जब जूनियर डॉक्टर के शरीर पर चेहरे से लेकर पैर तक जख्म के निशान थे, शरीर के निचले हिस्से से कपड़े गायब थे, तो फिर किसके कहने से ऐसा हुआ? कोलकाता पुलिस ने शुरुआत में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया था... जबकि शव देखकर कोई भी बता सकता था कि यह बलात्कार और हत्या का मामला है... यहां तक ​​कि कोलकाता हाई कोर्ट ने भी इसके लिए कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई थी.. क्यों क्या पोस्टमार्टम उसी अस्पताल में हुआ जहां जूनियर डॉक्टर की हत्या हुई थी...किसके कहने पर?


इन सवालों के जवाब जानने के लिए सीबीआई अब तक करीब 20 लोगों से पूछताछ कर चुकी है... लेकिन आरोपी संजय रॉय के अलावा जिस शख्स से सबसे ज्यादा और सबसे लंबे समय तक पूछताछ की जा रही है वो हैं आरजी के प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष कर हॉस्पिटल हैं...दरअसल डॉ. संदीप घोष अपने आप में एक संदिग्ध चरित्र हैं...उनकी स्वास्थ्य मंत्रालय में अच्छी खासी ताकत और पैठ है...इतनी जबरदस्त पैठ है कि जब आरजी का इंटरव्यू लिया जा रहा है मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के प्रिंसिपल के तौर पर चयनित हुए थे, तब उस इंटरव्यू में वे 16वें नंबर पर थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें प्रिंसिपल बना दिया गया... ऐसे दो मौके आए, जब आरजी ने उन्हें हॉस्पिटल से ट्रांसफर कर दिया था... लेकिन दोनों ट्रांसफर ऑर्डर के बावजूद बार ने न सिर्फ उस आदेश को रुकवाया बल्कि उसी आरजी को करते हुए अस्पताल में रुके... उन पर अस्पताल के वेस्ट मटेरियल टेंडर से लेकर पार्किंग टेंडर तक में रिश्वत लेने का आरोप है... बताया जाता है कि ये अस्पताल परिसर चारों तरफ से घिरा हुआ है सुरक्षा गार्ड.

फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है


जूनियर डॉक्टर की मौत के बाद से अब उन पर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं... खबर है कि वह पूछताछ में सीबीआई को गुमराह कर रहे हैं... इसलिए प्रिंसिपल को हिरासत में लेने के लिए सीबीआई ने कोर्ट से इजाजत ले ली है. पॉलीग्राफ टेस्ट कराने पर भी कर रहे हैं विचार... संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत कोर्ट पहले ही दे चुकी है। फोरेंसिक रिपोर्ट उस जूनियर डॉक्टर की मौत के सच से आसानी से पर्दा उठा सकती है, जिसकी मौत से हड़कंप मचा हुआ है... इस फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चल जाएगा कि जूनियर डॉक्टर के साथ रेप हुआ था या नहीं, फिर गैंग रेप... अगर रिपोर्ट में रेप की बात कही गई तो संजय रॉय का जो रूप होगा, ये केस उन्हीं के पास जाएगा... और अगर फॉरेंसिक रिपोर्ट जूनियर डॉक्टर की मौत को गैंग रेप बताती है, तो कुछ साजिश और कहानी से ही पर्दा उठ सकता है... इसलिए ये जरूरी है सोशल मीडिया पर चल रही दर्जनों थ्योरी को एक तरफ रख दें और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार करें।

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