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किसान मई के महीने में ग्वार की बिजाई कदापि न करें: डा. यादव

Farmers should never sow guar in the month of May: Dr. Yadav
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सिरसा। ख

रीफ  की फसल के सीजन को ध्यान में रखते हुए और ग्वार की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को बिजाई से पूर्व ही कृषि विभाग सिरसा के खण्ड नाथूसरी

चौपटा के अधिकारी व ग्वार विशेषज्ञ की संयुक्त टीम जागरूक करने में लग गई है।

इसी कड़ी में नाथूसरी चौपटा के एटीएम डा. मदन सिंह की देखरेख में ग्वार विशेषज्ञ के सहयोग से खण्ड नाथूसरी चौपटा के गांव खेड़ी में ग्वार की समय से पहले

बिजाई न करने व जडग़लन रोग की रोकथाम के बारे में किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस गांव में ट्रेनिंग का

आयोजन कृषि अधिकारी के सलाह व किसानों के अनुरोध पर की गई। इसी बात को ध्यान में रखकर गोष्ठी में ग्वार विशेषज्ञ ने ग्वार फसल की उन्नत किस्मों, समय पर

बिजाई, बीज उपचार व संतुलित खाद का प्रयोग के बारे में किसानों को अवगत कराया।

ग्वार विशेषज्ञ डा. यादव ने किसानों से कहा ग्वार की बिजाई मई महीने में कदापि न करें।

ऐसा करने से फसल की बढ़वार ज्यादा हो जाएगी

और फसल गिरने की आशंका भी ज्यादा रहेगी और फल भी कम आएगा तथा नीचे की फलियां जो बनेगी, वे सुकड़ कर सुख जाएंगी, उसका पैदावार पर विपरित

असर आएगा। सिरसा जिले के नहरी क्षेत्र में नरमा की बिजाई करने के बाद किसानों की आम धारणा रहती है

नहर का पानी उपलब्ध होने पर वे अपने खेत में पानी लगाकर मई महीने में ग्वार की बिजाई करने लग जाते हैं। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि

इस समय पर ग्वार की बिजाई कदापि न करें। सिंचित क्षेत्रों में जून के महीने में जब भी नहर के फालतू पानी की उपलब्धता हो

तो ग्वार की बिजाई शुरू कर सकते हैं परन्तु ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित है। ट्रेनिंग के दौरान किसानों से रूबरू होते हुए

ग्वार विशेषज्ञ किसानों को बताया कि जडग़लन (उखेड़ा) रोग की फफूंद जमीन के अन्दर पनपती है

, जो उगते हुए पौधों की जड़ पर आक्रमण करती है, इससे पौधे की जड़ें काली पड़ जाती हैं तथा जमीन से पौधों की खुराक रूक जाती है।

ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों को विशेष सलाह दी कि खड़ी फसल में जडग़लन रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर स्प्रे करने का कोई फायदा नहीं होता।

इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीज उपचार ही एक मात्र हल बताया।

इसके लिए 3 ग्राम कार्बन्डाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रतिकिलो बीज की दर से सूखा उपचारित 15 से 20 मिनट करने के बाद ही बिजाई करनी चाहिए।

ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिशत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है।

जडग़लन रोग का इलाज मात्र 15 रूपये बीज उपचार से संभव है,

जोकि सस्ता और सरल उपाय है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 की

बिजाई उचित समय आने पर ही बीजने की सलाह दी।

खण्ड नाथूसरी चौपटा के एटीएम डा. मदन सिंह ने शिविर में संबोधित करते हुए कहा कि बिजाई से पहले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवायें।

इसके साथ-साथ उन्होंने खेती की पुरानी पद्धति छोडक़र नई तकनीक अपनाकर खेती करने पर विशेष जोर दिया।

शिविर में 82 मौजूद किसानों को बीज उपचार के लिए दो एकड़ की वेबिस्टिन दवाई सैंम्पल के तौर तथा एक जोड़ी दस्ताने हिन्दुस्तान गम एण्ड कैमिकल्स भिवानी की

तरफ  से दी गई। इस प्रोग्राम आयोजित करने में उन्नतशील किसान विजय सिंह का अह्म योगदान रहा। इस अवसर पर गांव के सरपंच सुरेश कुमार पूनियां, गांव के

प्रगतिशील किसान महावीर पूनियां, बुधराम, भूपसिंह, राजेन्द्र सिंह, महेन्द्र, बलवीर सहारण, जगदीश, कृष्ण कुमार, राजेराम व गांव के नम्बरदार प्रतापसिंह भी

उपस्थित थे।
 

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