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साढ़े 4 वर्ष बाद भी भूपेंद्र हुड्डा‌ की हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर गजट नोटिफिकेशन नहीं

Even after 4 and a half years, there is no gazette notification of Bhupendra Hooda as Leader of Opposition in Haryana Assembly.
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गत दो वर्षो में  स्पीकर और संसदीय कार्य विभाग को बार-बार  लिखने  बावजूद कोई कार्रवाई नहीं

चूँकि  हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कैबिनेट मंत्री के समान  मासिक वेतन-भत्ते चंडीगढ़ ट्रेज़री से हो रहे प्राप्त, एडवोकेट ने चंडीगढ़ के ट्रेज़री ऑफिसर (टी.ओ.) को लिखा पत्र 

चंडीगढ़ - इसी माह  3 मई  2024 को वर्तमान  14 वीं   हरियाणा विधानसभा का गठन हुए साढ़े  चार वर्ष पूरे हो गए हालांकि  आज तक  कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुडा की सदन में नेता प्रतिपक्ष (विपक्ष के नेता) के तौर पर नोटिफिकेशन प्रदेश के शासकीय गजट में प्रकाशित नहीं की गई है.

मौजूदा  विधानसभा का पहला अधिवेशन  (सत्र)  4 नवम्बर 2019 को बुलाया गया था जिसमें सबसे पहले दिन  पंचकूला से लगातार  दूसरी बार निर्वाचित भाजपा विधायक  ज्ञान चंद गुप्ता का सर्वसम्मति से विधानसभा के  स्पीकर (अध्यक्ष) के तौर पर निर्वाचन हुआ. उसी दिन विधानसभाध्यक्ष गुप्ता द्वारा कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र हुड्डा को सदन में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता देने बारे सदन में घोषणा की गई थी.


बहरहाल, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि  आज  साढ़े चार वर्ष  बीत जाने के बाद भी न तो  विधानसभा सचिवालय और न  ही प्रदेश सरकार के  संसदीय कार्य विभाग द्वारा सदन में मौजूदा 30 सदस्यी ( आदमपुर के निवर्तमान विधायक कुलदीप बिश्नोई के वर्ष 2022 में त्यागपत्र से पूर्व 31 सदस्यी) कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सदन  में  नेता प्रतिपक्ष के तौर पर  मान्यता प्राप्त होने संबंधी  सार्वजनिक नोटिफिकेशन प्रदेश  सरकार के शासकीय गजट में प्रकाशित  नहीं की गई है‌ जोकि मौजूदा नियमानुसार आवश्यक है. अब ऐसा भूलवश हुआ  अथवा किसी और कारण से, इस सम्बन्ध में सम्बंधित अधिकारीगण  ही बता सकते हैं.  गत साढ़े 4 वर्षों में हुड्डा को‌ नेता प्रतिपक्ष के तौर पर कई वैधानिक  पदों पर नियुक्ति हेतु  गठित चयन समिति में सदस्य तौर पर शामिल किया गया.

 हालांकि 4  नवंबर 2019 को   विधानसभा के सचिव  द्वारा प्रदेश के  मुख्य सचिव को एक पत्र भेजकर  हुड्डा के नेता प्रतिपक्ष के तौर पर  पदांकन बारे जानकारी  दे दी गई थी जिसमें  हुड्डा को   प्रासंगिक अधिनियम एवं  नियमों के अंतर्गत प्राप्त होने वाली सभी सुविधाओं आदि देने का  उल्लेख किया गया था परन्तु जहाँ तक गजट नोटिफिकेशन का विषय है, वह आज तक नहीं प्रकाशित हुई है.   सनद रहे कि हुड्डा इससे पूर्व अगस्त, 2002 और सितम्बर, 2019 में भी सदन में नेता प्रतिपक्ष पदांकित किए गए थे.


एडवोकेट हेमंत, जो‌ गत दो वर्ष  अर्थात मई, 2022 में  इस सम्बन्ध में  प्रदेश के राज्यपाल, सदन के नेता (मुख्यमंत्री), विधानसभा स्पीकर, संसदीय कार्य मंत्री, प्रदेश के मुख्य सचिव,  विधानसभा सचिव  को निरंतर अभिवेदन भेज रहे हैं, ने हाल ही में  पुन: इस विषय पर चंडीगढ़ के ट्रेज़री ऑफिसर (खजाना अधिकारी) को भी लिखा है चूँकि हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के सामान मासिक वेतन-भत्तें आदि चंडीगढ़ स्थित  ट्रेज़री से ही प्राप्त हो रहे हैं. 


हेमंत ने बताया कि  हालांकि हरियाणा में पंजाब की तर्ज पर नेता प्रतिपक्ष हेतु विशेष कानून  तो नहीं बनाया गया है परन्तु हरियाणा विधान सभा (सदस्यों का वेतन, भत्ते और पेंशन ) अधिनियम, 1975 की धारा 2 (डी) में सदन के नेता प्रतिपक्ष को परिभाषित किया गया है जिसका अर्थ है सदन का वह सदस्य जिसे इस पद हेतु स्पीकर  द्वारा मान्यता प्रदान की गई हो. यही नहीं उक्त 1975  कानून की धारा 4  में सदन में नेता प्रतिपक्ष के वेतन-भत्तों और अन्य सुविधाओं हेतु विशेष उल्लेख किया गया है एवं इस पद पर आसीन पदाधिकारी का दर्जा हरियाणा प्रदेश के कैबिनेट मंत्री के समकक्ष होता है. इस प्रकार से हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद एक वैधानिक पद‌‌ है. यहाँ तक कि नेता प्रतिपक्ष के वेतन -भत्तों आदि पर इनकम टैक्स (आयकर) का भुगतान भी प्रदेश के सरकारी खजाने से  किया जाता है.


उन्होंने बताया कि   अगस्त 2022  में   हरियाणा विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली में किये गए संशोधनों द्वारा नियम संख्या 2 में संशोधन कर सदन में स्पीकर द्वारा  नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने संबंधी नोटिफिकेशन प्रदेश के शासकीय गजट में प्रकाशित करने का स्पष्ट उल्लेख भी किया गया. हालांकि आज तक इसे अमली जामा नहीं पहनाया गया है.  

उससे  पूर्व   मार्च 2021 में   उक्त  नियमावली में संशोधन द्वारा   नियम संख्या  2 में  प्रतिपक्ष के नेता को परिभाषित किया गया था जिससे अभिप्राय है सदन में ऐसे बड़े विधायक दल का नेता जिसके सदस्यों की संख्या सरकार का गठन करने वाले दल/दलों को छोड़कर सबसे अधिक हो तथा कम से कम सदन की गणपूर्ति की संख्या के बराबर संख्या हो तथा अध्यक्ष द्वारा यथा मान्यता प्राप्त हो.  



हेमंत ने बताया  कि  संसद के दोनों सदनों (राज्य सभा और लोक सभा) और देश के सभी राज्यों के विधानमंडलों  ( विधानसभा और विधान परिषद, जहाँ जहाँ  वह मौजूद है ) में जब भी किसी सदन के सदस्य  को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा सम्बंधित सदन के  स्पीकर  या  चेयरमैन द्वारा प्रदान किया जाता है, तो केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय या उस प्रदेश का संसदीय कार्य विभाग इस सम्बन्ध में क्रमशः भारत के गजट / सम्बंधित राज्य के शासकीय गजट में सार्वजनिक ( गजट) नोटिफिकेशन जारी की जाती है.

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