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दिशाओं के बारे में जाने महत्वपूर्ण जानकारी, क्या बताया है महत्व

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वास्तु शास्त्र में दिशाओं का महत्व
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक दिशा का संबंध एक ग्रह से होता है और इसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। आइए, जानते हैं प्रत्येक दिशा का महत्व:

1. पूर्व दिशा
स्वामी ग्रह: सूर्य और इन्द्र
महत्व: स्वास्थ्य, बुद्धि, धन, सुख-सौभाग्य का प्रतीक।
वास्तु टिप: घर के पूर्व दिशा का कुछ स्थान खुला और नीचा होना चाहिए, नहीं तो स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।


2. पश्चिम दिशा
स्वामी ग्रह: शनि और वरुण
महत्व: मान-सम्मान, सफलता, अच्छे भविष्य और संपन्नता का प्रतीक।
वास्तु टिप: इस दिशा में गढ्ढा या दरार न होना चाहिए, वरना कार्यों में बाधा आ सकती है।


3. उत्तर दिशा
स्वामी ग्रह: बुध और कुबेर
महत्व: सभी प्रकार के सुख, ज्ञान, धन का स्रोत।
वास्तु टिप: उत्तर दिशा में खाली स्थान छोड़कर निर्माण करना चाहिए।


4. दक्षिण दिशा
स्वामी ग्रह: मंगल और यम
महत्व: सफलता, यश, धैर्य का प्रतीक।
वास्तु टिप: इस दिशा को भारी रखना लाभकारी होता है।


5. आग्नेय कोण
स्वामी ग्रह: शुक्र और अग्नि
महत्व: स्वास्थ्य और निद्रा का संबंध।
वास्तु टिप: यहां अंडरग्राउंड टैंक नहीं होना चाहिए।


6. नैऋत्य कोण
स्वामी ग्रह: राहु
महत्व: असुर और बुरे कर्मों का प्रतीक।
वास्तु टिप: इस दिशा को खाली नहीं छोड़ना चाहिए।


7. वायव्य कोण
स्वामी ग्रह: चंद्रदेव और पवनदेव
महत्व: मानसिक विकास, मित्रता और शत्रुता का संकेत।
वास्तु टिप: दोष होने पर शत्रुओं की संख्या बढ़ सकती है।


8. ईशान कोण
स्वामी ग्रह: बृहस्पति
महत्व: बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धैर्य का प्रतीक।
वास्तु टिप: यहां शौचालय, सेप्टिक टैंक या डस्टबिन नहीं होना चाहिए।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, दिशाओं का ध्यान रखना आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में महत्वपूर्ण होता है। सही दिशा में सही चीजों का होना आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

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