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उपचुनाव में बंसीलाल और पूरी सरकार ने डाल लिया था रोड़ी में डेरा

उपचुनाव में बंसीलाल 
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 पूरी सरकार ने डाल लिया था रोड़ी में डेरा

उपचुनाव में बंसीलाल और पूरी सरकार ने डाल लिया था रोड़ी में डेरा


1975  में रोड़ी के उपचुनाव को जीतकर ही देवीलाल ने राजनीति में जबरदस्त वापसी की थी। 1972 में आदमपुर और तोशाम से भजनलाल और बंसीलाल से चुनाव हारने के बाद देवीलाल ने एक समय राजनीति से दूरी बना ली थी। हालांकि देवीलाल इससे पहले 1952 और 1959 में सिरसा, 1962 में फतेहाबाद से विधायक रहने के अलावा पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और संयुक्त पंजाब के समय प्रताप सिंह कैरो की सरकार में संसदीय सचिव रह चुके थे।
दरअसल चौधरी देवीलाल 1968 से लेकर 1970 तक खादी बोर्ड के चेयरमैन थे। उस समय चौधरी बंसीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री थे। 1968 में कांग्रेस को 48 सीटों पर जीत मिली थी। गुलजारी लाल नंदा के अलावा बंसीलाल को मुख्यमंत्री बनवाने में देवीलाल का भी योगदान था। खुद देवीलाल ने 1968 में विधानसभा के चुनाव से खुद को दूर रखा था। खैर बाद में उनकी बंसीलाल से अनबन हो गई और 1971 में चौधरी देवीलाल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया। देवीलाल चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल में आ गए। इसके साथ ही देवीलाल ने किसान संघर्ष समिति बनाई। 


देवीलाल के यह संघर्ष का दौर था। 1972 में प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए। चौधरी देवीलाल ने तोशाम और आदमपुर दो सीटों से चुनाव लड़ा। तोशाम विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ते बंसीलाल ने 30,934 वोट हासिल करते हुए चौधरी देवीलाल को 20,494 वोटों के अंतर से चुनाव हराया। चौधरी देवीलाल को 10,440 वोट ही मिले। वहीं आदमपुर में चौधरी भजनला को 28,928 जबकि देवीलाल को 17,967 वोट मिले। देवीलाल आदमपुर सीट से 10,961 वोटों के अंतर से चुनाव हारे। खैर इस हार के बाद कुछ समय के लिए देवीलाल राजनीति से दूर हो गए। राजनीति से तौबा कर ली। दो जगह बड़ी हार के बाद देवीलाल को गहरा सदमा लगा था। 1973 में ताऊ देवीलाल ने किसान संघर्ष समिति के बैनर तले पूरे प्रदेश में अभियान चलाया। इसके बाद साल 1975 में प्रदेश के रोड़ी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ।

 रोड़ी के उपचुनाव में ताऊ देवीलाल ने कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष के उम्मीदवार थे। भारतीय लोकदल का समर्थन उन्हें था। चौधरी बंसीलाल को मुख्यमंत्री बने हुए करीब साढ़े 6 साल हो गए थे। सिरसा जिला की रोड़ी विधानसभा सीट पर 1974 में हुए रोड़ी उपचुनाव पर सबकी निगाहें लगी थीं। बंसीलाल इस इम्तिहान में हर हाल में पास होना चाहते थे। बंसीलाल ने बड़ा दांव खेला। चुनाव में अपने रिश्तेदार इंद्राज बैनीवाल को देवीलाल के सामने मैदान में उतारा। रोड़ी के उपचुनाव में सरकार के मंत्रियों ने डेरा डाल लिया। पूरी सरकार रोड़ी में थी। देवीलाल को घेरने के लिए चौधरी बंसीलाल भी रोड़ी में डेरा डाले रहे। इस ऐतिहासिक उपचुनाव में देवीलाल ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की और विधायक बने। इसके बाद देवीलाल ने पूरे प्रदेश में अभियान चलाया। किसानों के मुद्दे उठाए। उपचुनाव जीतने के कुछ दिन बाद ही चौधरी चरण सिंह ने भारतीय लोकदल की कमान देवीलाल को सौंप दी। यही वो दौर था जब साठ साल के छह फुट दो ईंच लंबे चौधरी देवीलाल हरियाणा की राजनीति में जननायक के रूप में उभरकर सामने आए।

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