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जिस बीवी के कत्ल के इल्ज़ाम में पति जेल गया था, वही बीवी उस पति के पास सब्जी खरीदने आयी।

वही बीवी उस पति के पास सब्जी खरीदने आयी।
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जिस बीवी के कत्ल

मेहंदी बालापुर: एक सनसनीखेज मामला जो सालों बाद सामने आया

शुरुआत: सोनू और आरती की प्रेम कहानी
साल 2015 में मेहंदी बालापुर में रहने वाले सोनू सैनी और गोपाल की दोस्ती गहरी थी। सितंबर 2015 में वृंदावन से दर्शन के लिए आई एक महिला आरती से सोनू की मुलाकात होती है। पहली नजर में दोनों को प्यार हो जाता है, और जल्द ही वे शादी कर लेते हैं।

शादी के बाद बदलता आरती का व्यवहार
शादी के तुरंत बाद आरती का व्यवहार बदल जाता है। वह सोनू से प्रॉपर्टी और पैसों की मांग करने लगती है। इस बीच, शादी के आठवें दिन, आरती अचानक घर से गायब हो जाती है। सोनू परेशान होकर उसे ढूंढता है, लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिलता।

आरती की गुमशुदगी और पुलिस की कार्रवाई
25 सितंबर 2015 को आरती के पिता वृंदावन पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराते हैं। वे सोनू और उसके दोस्त गोपाल पर शक जताते हैं। पुलिस मामले की छानबीन शुरू करती है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाती। कुछ दिनों बाद वृंदावन के पास एक अज्ञात महिला की लाश मिलने पर पुलिस मामले को कत्ल का रूप देती है।

पुलिस की क्रूरता और कबूलनामा
पुलिस सोनू और गोपाल को गिरफ्तार कर थर्ड-डिग्री टॉर्चर का सहारा लेती है। डर और दबाव में दोनों जुर्म कबूल कर लेते हैं। चार्जशीट दाखिल कर दोनों को जेल भेज दिया जाता है।

जेल से बाहर आने के बाद की कठिनाइयाँ
2016 और 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत पर रिहा होने के बाद भी दोनों का जीवन मुश्किलों से भरा रहता है। समाज में उन्हें पत्नी के हत्यारे के रूप में देखा जाता है, जिससे रिश्तेदारों ने भी किनारा कर लिया।

सच्चाई की खोज में सोनू और गोपाल
सात साल बाद, 2022 में, सोनू और गोपाल ने खुद आरती की खोज शुरू की। वे भेष बदलकर आरती के गांव पहुंचे। सब्जी बेचने के बहाने उन्होंने गांव में पड़ताल की। अंततः, आरती को एक घर में पहचान लिया।

आरती की सच्चाई सामने आई
आरती जिंदा थी और उसने दूसरी शादी कर ली थी। जब पुलिस ने दस्तावेजों के माध्यम से उसकी पहचान की पुष्टि की, तो आरती ने स्वीकार किया कि उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा था। उसने बताया कि वह सोनू के साथ अपनी शादीशुदा जिंदगी जारी नहीं रखना चाहती थी।

मामले ने पुलिस और परिवार को किया सवालों के घेरे में
आरती के पिता ने पहले उसकी पहचान से इनकार किया, लेकिन बाद में डीएनए टेस्ट के डर से सच कबूल लिया। अब पुलिस आरती के खिलाफ झूठे मामले में सोनू और गोपाल को फंसाने के लिए कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

समाज के लिए सबक
यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और समाज में प्रचलित पूर्वाग्रहों पर सवाल खड़े करता है। सोनू और गोपाल ने अपनी हिम्मत और धैर्य से न केवल अपनी बेगुनाही साबित की, बल्कि एक जिंदा व्यक्ति के नाम पर चल रहे कत्ल के केस को भी उजागर किया।

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